शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम- हेमामालिनी
आज जन्म दिवस
प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी बालीवुड की उन गिनी.चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं. जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। लगभग चार दशक के कैरियर में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया लेकिन कैरियर के शुरआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पडा था. जब एक निर्माता.निर्देशक ने उन्हें यहां तक कह दिया था कि उनमें स्टार अपील नहीं है।
ड्रीमगर्ल, हेमा मालिनी ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा ही था तब एक तमिल निर्देशक श्रीधर ने उन्हें अपनी फिल्म में काम देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनमें स्टार अपील नहीं है१ बाद में सत्तर के दशक में इसी निर्माता.निर्देशक ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्हें लेकर १९७३ में, गहरी चाल, फिल्म का निर्माण किया१ हेमा मालिनी फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए १९६८ तक संघर्ष करती रहीं लेकिन उन्हें काम नहीं मिला१ वह साल उनके सिने कैरियर का सुनहरा वर्ष साबित हुआ जब उन्हें सुप्रसिद्ध निर्माता.निर्देशकऔर अभिनेता राजकपूर की फिल्म, सपनों का सौदागर, में पहली बार नायिका के रूप में काम करने का मौका मिला। फिल्म के प्रचार के दौरान हेमा मालिनी को, ड्रीम गर्ल, के रूप में प्रचारित किया गया। बदकिस्मती से फिल्म टिकट खिडकी पर असफल साबित हुई लेकिन अभिनेत्री के रूप में हेमा मालिनी को दर्शकों ने पसंद कर लिया।
हेमा मालिनी का जन्म १६ अक्टूबर १९४८ को तमिलनाडु के आमानकुंडी में हुआ था। उनकी मां जया चक्रवर्ती फिल्म निर्माता थीं। घर में फिल्मी माहौल होने से हेमा मालिनी का झुकाव भी फिल्मों की ओर हो गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई से पूरी की । वर्ष १९६१ में हेमा मालिनी को एक लघु नाटक, पांडव वनवासम, में बतौर नर्तकी काम करने का अवसर मिला। हेमा मालिनी को पहली सफलता वर्ष १९७० में प्रदॢशत फिल्म, जॉनी मेरा नाम, से हासिल हुयी। इसमें उनके साथ अभिनेता देवानंद मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में हेमा और देवानंद की जोड़ी को दर्शकों ने सिर आंखों पर लिया और फिल्म सुपरहिट रही। हेमा मालिनी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता.निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक उनकी ही फिल्म, अंदाज, १९७१ से मिला। इसे महज संयोग कहा जायेगा कि निर्देशक के रूप में रमेश सिप्पी की यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म में हेमा मालिनी ने राजेश खन्ना की प्रेयसी की भूमिका निभायी, जो उनकी मौत के बाद नितांत अकेली हो जाती है। अपने इस किरदार को हेमा मालिनी ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाये हैं १ वर्ष १९७२ में हेमा मालिनी को रमेश सिप्पी की ही फिल्म, सीता और गीता, में काम करने का अवसर मिला, जो उनके सिने कैरियर के लिये मील का पत्थर साबित हुयी। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। उन्हें इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये सर्वŸोष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म सीता और गीता में जुड़वा बहनों की कहानी थी, जिनमें एक बहन ग्रामीण परिवेश में पली. बढ़ी है और डरी सहमी रहती है जबकि दूसरी तेज तर्रार युवती होती है।
हेमा मालिनी के लिये यह किरदार काफी चुनौती भरा था लेकिन उन्होंने अपने सहज अभिनय से न सिर्फ इसे अमर बना दिया बल्कि भविष्य की पीढ़ी की अभिनेत्रियों के लिये इसे उदाहरण के रूप में पेश किया । बाद में इसी से प्रेरित होकर फिल्म, चालबाज, का निर्माण किया गया, जिसमें दोहरी भूमिका वाली बहनों का किरदार श्रीदेवी ने निभाया। हेमा मालिनी सीता और गीता से फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों पर पहुंची लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के निर्माण के समय निर्देशक रमेश सिप्पी नायिका की भूमिका के लिए मुमताज का चयन करना चाहते थे लेकिन किसी कारण से वह यह फिल्म नहीं कर सकी। बाद में हेमा मालिनी को इस फिल्म में काम करने का अवसर मिला। परदे पर हेमा मालिनी की जोडी धर्मेन्द्र के साथ खूब जमी। यह फिल्मी जोंडी सबसे पहले फिल्म, श्राफत, से चर्चा में आई। वर्ष १९७५ में प्रदॢशत फिल्म शोले में धर्मेन्द्र ने वीर और हेमामालिनी ने बसंती की भूमिका में दर्शकों का भरपूर मनोंरजन किया।
हेमा और धमेन्द्र की यह जोड़ी इतनी अधिक पसंद की गई कि धर्मेन्द्र की रील लाइफ की ड्रीम गर्ल. हेमामालिनी उनके रीयल लाइफ की ड्रीम गर्ल बन गईं। बाद में इस जोड़ी ने ड्रीम गर्ल, चरस, आसपास प्रतिज्ञा, राजा जानी, रजिया सुल्तान, अली बाबा चालीस चोर, बगावत, आतंक, द बॄनग ट्रेन, चरस, दोस्त, आदि फिल्मों में एक साथ काम किया।
वर्ष १९७५ हेमा मालिनी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उनकी संन्यासी, धर्मात्मा, खूशबू और प्रतिज्ञा जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदॢशत हुई। उसी वर्ष हेमा मालिनी को अपने प्रिय निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म, शोले, में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अपने अल्हड़ अंदाज से हेमा मालिनी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। फिल्म में हेमा मालिनी के संवाद उन दिनों दर्शकों की जुबान पर चढ़ गये और आज भी सिने प्रेमी उन संवादों की चर्चा करते हैं। सत्तर के दशक में हेमा मालिनी पर आरोप लगने लगे कि वह केवल ग्लैमर वाले किरदार ही निभा सकती है लेकिन उन्होंने खुशबू १९७५ किनारा, १९७७ और मीरा १९७९ जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभाकर अपने आलोचकों का मुंह हमेशा के लिये बंद कर दिया । इस दौरान हेमा मालिनी के सौंदर्य और अभिनयका जलवा छाया हुआ था। इसी को देखते हुये निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती ने उन्हें लेकर फिल्म, ड्रीम गर्ल, का निर्माण तक कर दिया । वर्ष १९९० में हेमा मालिनी ने छोटे पर्दे की ओर भी रूख किया और धारावाहिक नुपूर का निर्देशन भी किया। इसके बाद वर्ष १९९२ में फिल्म अभिनेता शाहरूख खान को लेकर उन्होंने फिल्म एदिल आशना है एका निर्माण और निर्देशन किया । वर्ष १९९५ में उन्होंने छोटे पर्दे के लिये, मोहिनी, का निर्माण और निर्देशन किया।
फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद हेमा मालिनी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य सभा की सदस्य बनीं। हेमा मालिनी को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए १९९९ में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड और २००३ में जी सिने का लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया । इसके अलावा वह २००० में पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित की गयीं। हेमा मालिनी ने अपने चार दशक के सिने कैरयिर में लगभग १५० फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं, सीता और गीता, १९७२, प्रेम नगर, अमीर गरीब १९७४, शोले, १९७५ महबूबा, चरस १९७६, ड्रीम गर्ल, किनारा १९७७, त्रिशूल १९७८, मीरा १९७९, कुदरत, नसीब, क्रांति १९८०, अंधा कानून, रजिया सुल्तान १९८३, रिहाई १९८८, जमाई राजा, १९९० बागबान २००३ वीर जारा २००४ आदि ।
प्रेम कुमार
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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