गुरुवार, 1 दिसंबर 2016
प्रेरक प्रसंग - कोयल और कौआ
प्रेरक प्रसंग का अंश...
संस्कृत साहित्य की यह चर्चित कथा है। एक बार वसंत ऋतु में एक कोयल वृक्ष पर बैठी कूक रही थी। आते-जाते लोग उसकी कूक को सुनते और उसकी सुरीली आवाज का आनंद लेते हुए उसकी तारीफ के पुल बांधते। कुछ देर बाद कोयल के सामने एक कौआ तेज गति से आया। कोयल ने उससे पूछा, ‘इतनी तेज गति से कहाँ जा रहे हो? कुछ देर बैठो, बातें करते हैं।’ कौए ने उत्तर दिया कि वह जरा जल्दी में है और देश को छोड़कर परदेस जा रहा है।
कोयल ने इसका कारण पूछा तो कौआ बोला, ‘यहाँ के लोग बहुत खराब हैं। सब तुम्हें ही चाहते हैं। सभी लोग सिर्फ तुम्हारा आदर करते हैं। वह यही चाहते हैं कि तुम हमेशा की तरह इसी प्रकार से उनके क्षेत्र में गाती रहो। वहीं जहाँ तक मेरी बात है तो मुझे कोई देखना तक नहीं चाहता। यहाँ तक कि मैं किसी की मुंडेर पर बैठता हूँ तो मुझे कंकड़ मारकर वहाँ से भगा दिया जाता है। मेरी आवाज भी कोई नहीं सुनना चाहता। जहाँ मेरा अपमान हो, मैं ऐसे स्थान पर एक क्षण भी नहीं रहना चाहता। ज्ञानियों ने भी हमें यही शिक्षा दी है कि अपमान की जगह पर नहीं रहना चाहिए।’
यह सुनकर कोयल बोली, ‘परदेस जाना चाहते हो तो बड़े शौक से जाओ। यह पूरी तरह से तुम्हारी इच्छा पर निर्भर है। लेकिन एक बात का सदैव ध्यान रखना कि वहाँ जाने से पहले अपनी आवाज को बदल लेना। अपनी वाणी को मधुर बना लेना। यदि तुम्हारी वाणी ठीक वैसी ही कठोर रही, जैसी यहाँ पर है तो परदेस में भी लोग तुम्हारे साथ वही व्यवहार करेंगे जो अभी हो रहा है। संसार जो है, जैसा भी है, उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन हम अपनी दृष्टि और वाणी को बदल सकते हैं। इन दोनों के बदलने से जीवन की दिशा और दशा, दोनों बदल जाती है और यहीं से संसार में आनंद और सुख की प्राप्ति शुरू होती है।’ इस प्रसंग का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
प्रेरक प्रसंग
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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