मंगलवार, 20 दिसंबर 2016
बाल कहानी – मेहनती रामदीन
कहानी का अंश…
एक गाँव में एक किसान रहता था। खेती-बाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था। उसके घर में एक लड़का नौकरी करता था। उसका नाम था रामदीन। पिछले कुछ वर्षों में बारिश न होने के कारण गाँव में पानी की बहुत कमी थी। रामदीन बहुत लापरवाह था। वह पानी का मोल नहीं समझता था। पानी को बरबाद करता रहता था। किसान ने उसे कई बार समझाया कि पानी बहुत मूल्यवान है, इस तरह से उसे बरबाद मत करो लेकिन रामदीन को किसान की बातों का असर नहीं होता था। एक दिन गुस्से में आकर किसान ने उसे घर से निकाल दिया। रामदीन गाँव से निकलकर जंगल में भटकता रहा। भूख और प्यास से उसका बुरा हाल था। आखिर वह एक गाँव में पहुँचा। उसकी जान में जान आई। उसने सोचा – शायद गाँव में कुछ खाने को मिल जाए। जब वह गाँव में अंदर पहुँचा तो देखा कि एक कुँए के पास बहुत से लोग इकट्ठेक हैं। उसने पूछा – क्या बात है? एक गाँववाला बोला- कुछ दिन पहले तक इस कुँए में बहुत पानी था। ठंडा और मीठा पानी। लेकिन अब न जाने क्या हो गया, कुँए का पानी सूख गया है। ऐसा क्यों हुआ, कुछ समझ में नहीं आता है। हम सोच रहे हैं कि कोई इस कुँए में उतरे और इस रहस्य का पता लगाए लेकिन कोई तैयार ही नहीं है।
रामदीन ने सोचा कि यदि मैं इस रहस्य का पता लगाउं तो इनाम भी मिल सकता है। उसने गाँव वालों से कहा कि वह इस कुँए में उतरने के लिए तैयार है। गाँववालों ने एक मजबूत रस्सी से एक बड़ी बाल्टी को बाँधा और उसमें रामदीन को बैठाया। फिर उसे कुँए में उतार दिया। कुँए की तली में पहुँचते ही रामदीन बड़ी जोर से चीखा। उसे अपनी पीठ पर कुछ भारी बोझ-सा महसूस हुआ। उसकी चीख सुनकर गाँववालों ने जल्दी से रस्सी को खींचकर उसे बाहर निकाला। देखा तो रामदीन की पीठ पर एक मगरमच्छ था। यह देखकर वे लोग डर गए और वहाँ से भाग गए। रामदीन भी लोगों की चीख-पुकार सुनकर भागने लगा। भागते-भागते वह एक निर्जन स्थान पर पहुँचा। अचानक उसे अपनी पीठ पर हल्कापन महसूस हुआ। उसने पीठ की ओर देखा तो वहाँ कुछ नहीं था। अचानक सामने की ओर उसे एक सुंदर लड़की दिखाई दी। लड़की ने कहा –घबराओ नहीं, मैं ही तुम्हारी पीठ पर बैठी हुई थी। लेकिन मैं इस रूप में ज्यादा देर तक नहीं रह सकती। मैं चिडिया बन जाउँगी। तुम मुझे एक पिंजरे में बंद करके राजा के पास ले जाना। मैं उन्हें मधुर गीत सुनाउँगी। गीत सुनकर राजा मोहित हो जाएगा और वह तुमसे कहेगा कि यह चिडिया मुझे दे दो। वह तुम्हें इसके लिए मुँहमाँगी कीमत देने के लिए तैयार हो जाएगा। लेकिन तुम धन-दौलत की लालच में नहीं आना। तुम राजा से उसका बाजूबंद माँगना। उसे लेने के बाद ही मुझे राजा को सौंपना। कुछ ही क्षण में वह लड़की चिडिया बन गई। रामदीन उसे लेकर आगे बढ़ गया। कुछ दूर चलकर उसने चिडिया के लिए एक पिंजरा खरीदा और उसमें चिडिया को कैद कर दिया। वह राजमहल पहुँचा। महल पहुँचते ही चिडिया ने मधुर स्वर में गाना शुरू कर दिया। राजा ने जब उसका गीत सुना तो वह उस पर मोहित हो गया और रामदीन को बुलाकर उससे चिडिया की माँग की । रामदीन ने अपनी शर्त राजा के सामने रख दी। पहले तो राजा ने आनाकानी की पर बाद में वह अपना बाजूबंद देने के लिए तैयार हो गया।
आगे क्या हुआ? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए….
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दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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