शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016
प्रेरक प्रसंग – साहसी स्वाति
प्रेरक प्रसंग का अंश…
पाठशाला में एक नई बालिका ने प्रवेश लिया। अध्यापिका ने कक्षा में उसका परिचय करवाया – यह स्वाति है। अब इसी कक्षा में पढ़ेगी। फिर वे स्वाति से बोली – स्वाति, तुम्हें इस कक्षा की लड़कियों से पता चल जाएगा कि वे कौन-कौन से पाठ पढ़ चुकी हैं। तुम इनकी सहायता से उन पाठों को तैयार कर सकती हो। स्वाति सुंदर थी। वह चुप-चुप सी रहती थी। उसकी कक्षा की लड़कियाँ उससे मित्रता करना चाहती थी, परंतु वह उनसे दूर-दूर रहती। लड़कियों को लगा कि स्वाति घमंडी है अत: उन्होंने उसकी ओर ध्यान देना छोड़ दिया। एक दिन पाठशाला में बच्चों को पिकनिक पर ले जाने का निश्चय किया गया। पिकनिक का स्थान एक झील को चुना गया। झील का वातावरण बहुत आकर्षक था। पहाड़ी स्थान और फूलों की भरमार इस स्थ्ल की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे। अन्य लड़कियों को लगा कि स्वाति पिकनिक पर नहीं आएगी। परंतु पिकनिक पर जाने के लिए स्वाति सबसे पहले विद्यालय के द्वार पर खड़ी थी। सभी लड़कियाँ और अध्यापिकाएँ बस में बैठकर पिकनिक स्थल पहुँच गई। एक अच्छा स्थान देखकर अध्यापिका ने दरियाँ बिछवा दीं। कुछ लड़कियाँ वहाँ बैठ गई और हँसी-मजाक करने लगी। कुछ लड़कियाँ घूमने निकल गई। स्वाति भी अपनी सहपाठियों से अकेली ही घूम रही थी। वह एक फूल के पौधे के पास बैठ गई। अचानक धप्प की आवाज आई और एक चीख गूँज उठी। स्वाति उठकर तेजी से आवाज की ओर दौड़ पड़ी। झील के किनारे उसे एक लाल कपड़ा दिखाई दिया। वह उधर ही दौड़ने लगी। झील के पास पहुंचते ही उसे बचाओ, बचाओ की आवाज सुनाई दी। उसने देखा कि उसकी कक्षा की एक लड़की नीरू झील में गिर गई है। झील में उस स्थान में पानी कम और कीचड़ अधिक था। वह भाग दलदल बना हुआ था। क्या स्वाति नीरु को बचा पाई? क्या अन्य लोगों ने स्वाति और नीरू को वहाँ देखा? आगे क्या हुआ? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए….
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
प्रेरक प्रसंग
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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