बुधवार, 14 दिसंबर 2016
प्रेरक प्रसंग - लेखक की सीख
प्रेरक प्रसंग का अंश...
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक थे। लेकिन उन्हें यह प्रसिद्धि आसानी से नहीं मिली थी। इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था। जैसे-जैसे उनकी रचनाओं को पाठकों की सराहना मिलती गई वैसे-वैसे वह सफलता की बुलंदियों को छूते गए। इसके बाद उन्हें आए दिन अनेक कार्यक्रमों में शामिल होने के निमंत्रण मिलने लगे। वे बड़े हंसमुख और मिलनसार थे। इसलिए उनके चाहने वालों की एक लंबी फेहरिस्त थी।
एक दिन उन्हें एक कॉलेज के कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया गया। जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने सहजता से आमंत्रण को स्वीकार कर लिया और कार्यक्रम के दिन वह तय समय पर कॉलेज पहुंच गए। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो उनका ऑटोग्राफ लेने वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई। उसी भीड़ में एक नौजवान ने उनके पैर छुए और अपनी हस्ताक्षर पुस्तिका देते हुए बोला, ‘सर, मुझे साहित्य का बहुत शौक है और मैंने आपकी सभी पुस्तकें पढ़ी हैं। आप मेरे प्रिय लेखक हैं। मैं अपने जीवन में अभी तक अपनी पहचान नहीं बना पाया हूं लेकिन बनाना चाहता हूं। इसके लिए आप मुझे कोई संदेश देकर अपने हस्ताक्षर करें तो बहुत मेहरबानी होगी।’
जॉर्ज, नौजवान की बात पर मुस्कुराए और हस्ताक्षर पुस्तिका पर एक संदेश लिख अपने हस्ताक्षर कर दिए। नौजवान ने देखा तो लिखा था, ‘अपना समय दूसरों के हस्ताक्षर इकट्ठा करने में नष्ट न करें, बल्कि खुद को इस योग्य बनाएं कि दूसरे आपका हस्ताक्षर प्राप्त करने को लालायित रहें। अपनी अलग पहचान बनाने के लिए मेहनत आवश्यक है।’ यह पढ़कर नौजवान ने उनके पैर छू लिए और बोला, ‘सर, मैं आपके इस संदेश को जीवन भर याद रखूंगा और अपनी एक अलग पहचान बनाकर दिखाऊंगा।’ इस पर जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने नवयुवक की पीठ थपथपाई और आगे बढ़ गए।
इस प्रसंग का आनंद आॅडियो की मदद से लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
प्रेरक प्रसंग
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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