सोमवार, 2 नवंबर 2009

......आज भी बरकरार है किंग खान का जादू


छोटे पर्दे से अपने कैरियर की शुरुआत करके बालीवुड के सिंहासन तक पहुंचने वाले फिल्म अभिनेता शाहरुख खान आज भी सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करते हं। फिल्म इंडस्ट्री में किंग खान के नाम से मशहूर शाहरुख खान का जन्म 02 नवंबर 1965 को दिल्ली में हुआ था । उनके पिता ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े हुए थे । शाहरुख खान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल से पूरी की और उसके बाद स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हंसराज कॉलेज से प्राप्त की। अभिनय से जुड़ने और संचार की विभिन्न विधाओं को नजदीक से समझने के लिए उन्होंने 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधिग्रहण की। वर्ष 1988 में शाहरुख खान ने बतौर अभिनेता छोटे पर्दे के धारावाहिक 'फौजी 'से अपने कैरियर की शुरुआत की और 1991 में अपने सपनो को साकार करने के लिये वह मुंबई आ गये । मुंबई में कड़े संघर्ष के बाद भी उन्हें सही मौका नहीं मिल पा रहा था । इस बीच उन्होंने अजीज मिर्जा से मुलाकात की जो उन दिनों अपने धारावाहिक सर्कस के निर्माण में व्यस्त थे और उन्हें नये चेहरे की तलाश थी । अजीज मिर्जा ने शाहरुख खान की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें अपने धारावाहिक में काम करने का मौका दे दिया । शाहरुख खान को काम तो मिल गया लेकिन वह कुछ बड़ा करना चाहते थे और बड़े पर्दे पर नाम कमाना चाहते थे । इस बीच उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा । उनकी साधारण सी कद काठी देखकर सभी आश्वासन तो देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर नहीं देते थे । उन्हीं दिनो हेमा मालिनी अपनी फिल्म 'दिल आशना है' का निर्माण कर रही थी और उन्हें अभिनेत्री दिव्या भारती के अपोजिट नये चेहरे की तलाश थी । शाहरुख खान को जब इस बात का पता चला तो वह अपने दोस्तों की मदद से इस फिल्म के लिये स्क्रीन टेस्ट देने के लिये गये और चुन लिये गये । इस बीच उन्हें फिल्म 'दीवाना 'में काम करने का अवसर मिला । ऋषि कपूर जसे मंझे हुये अभिनेता की मौजदूगी में भी शाहरुख खान ने अपने दमदार अभिनय से दर्शको को अपना दीवाना बना लिया । उसी वर्ष फिल्म फेयर की ओर से उन्हें नये अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला । इस बीच फिल्म खिलाड़ी के निर्देशक अब्बास मस्तान की नजर शाहरुख खान पर पड़ी। उस समय वह अंग्रेजी के नोबल 'ए किस बिफोर डेथ'पर एक फिल्म बनाना चाह रहे थे । उन्होंने कई लोगों को फिल्म की कहानी सुनाई लेकिन कोई भी अभिनेता फिल्म में काम करने को तयार नहीं हुआ । बाद में जब उन्होंने फिल्म की कहानी शाहरुख खान को सुनाई तो उन्होंने इस फिल्म को चुनौती के तौर पर लिया और इसके लिए हामी भर दी। वर्ष 1993 में प्रदशत फिल्म 'बाजीगर 'सुपरहिट साबित हुई और वह काफी हद तक इंडस्ट्री में पहचान बनाने में कामयाब हो गये । वर्ष 1993 में ही शाहरुख खान को यश चोपड़ा की 'डर'में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई । यश चोपड़ा ने फिल्म डर की कहानी एंटी हीरो को ध्यान में रखकर लिखाई थी। डर में भी शाहरुख खान ने अपना कमाल दिखाया और फिल्म सुपरहिट हो गई । इस फिल्म में उनके बोलने की शली 'क.क.क' किरण की सभी नकल करने लगे । इसके बाद वह यश चोपड़ा के कंप से जुड़ गये । वर्ष 1995 में शाहरुख खान को यश चोपड़ा की ही फिल्म 'दिलवाले दुल्हनियां ले जायेगे 'में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर के लिये मील का पत्थर साबित हुई ।शाहरुख खान के संजीदा अभिनय से फिल्म सुपरहिट साबित हुई । दिलचस्प बात ह कि मुंबई के सिनेमा घर में यह फिल्म लगातार पिछले 14 वर्ष से आज भी दिखाई जा रही ह । फिल्म दिलवाले दुल्हनियां को छोड़ दिया जाये तो वर्ष 1995-96 शाहरुख के सिने कैरियर का बुरा वर्ष साबित हुआ । इस बीच उनकी त्रिमूत, इंगलिश बाबू देसी मेम, राम जाने, ओह डालग ये ह इंडिया, चाहत, आर्मी और कोयला जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई जो टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई । इन फिल्मों की असफलता के बाद कहा जाने लगा कि शाहरुख खान का कैरियर समाप्त हो चला ह लेकिन उन्होंने 1997 में धमाकेदार वापसी की और परदेस, दिल तो पागल है और यस बॉस जसी सफल फिल्में देकर अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया । वर्ष 1999 में शाहरुख खान ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और अभिनेत्री जूही चावला के साथ मिलकर 'ड्रीम्स अनलिमिटेड 'बनर की स्थापना की । इस बैनर के तहत सबसे पहले शाहरुख खान ने 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी 'का निर्माण किया । दुर्भाग्य से अच्छी पटकथा और अभिनय के बाद भी फिल्म टिकट खिड़की पर असफल हो गई ।बाद में इसी बनर तले शाहरुख खान ने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म '.अशोका 'बनाई लेकिन इसे भी दर्शकों ने बुरी तरह से नकार दिया । हालांकि उनके बैनर तले बनी तीसरी फिल्म 'चलते चलते 'सुपरहिट साबित हुई । वर्ष 2004 में शाहरुख खान ने 'रेडचिली इंटरटेनमेंट 'कंपनी का भी निर्माण किया और उसके बनर तले मं हूं ना का निर्माण किया जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई । बाद मे इसके बैनर तले उन्होंने ने पहेली, काल, ओम शांति ओम, और बिल्लू बार्बर जसी फिल्मों का भी निर्माण किया । वर्ष 2007 शाहरुख खान के कैरियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब लंदन के सुप्रसिध्द म्यूजियम 'मडम तुसाद 'में उनकी मोम की प्रतिमा लगाई गई । उसी साल शाहरुख खान ने एक बार फिर छोटे पर्दे की ओर रूख किया और स्टार प्लस के सुप्रसिध्द शो 'कौन बनेगा करोड़पति 'के तीसरे सीजन में होस्ट की भूमिका निभाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया । शाहरुख खान अपने सिने कैरियर में सात बार सर्वश्रोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं ।उन्हें सबसे पहले 1993 में प्रदर्शत फिल्म बाजीगर के लिये 'सर्वश्रोष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला । इसके बाद 1995 में 'दिलवाले दुल्हनियां ले जायेगे '. 1997 में 'दिल तो पागल है ' 1999 में 'कुछ कुछ होता ह ' 2002 में 'देवदास '2004 में 'स्वदेश 'और 2007 में प्रदशत फिल्म 'चक दे इंडिया 'के लिये सर्वश्रोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये । इन सबके साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें पदमश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है । शाहरुख खान के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री काजोल के साथ खूब जमी । सबसे पहले यह जोड़ी 1993 में प्रदशत फिल्म 'बाजीगर 'में एक साथ नजर आई । इसके बाद इस जोड़ी ने करन अर्जुन 1994, दिलवाले दुल्हनियां ले जायेगें 1995, कुछ कुछ होता है 1998, और कभी खुशी कभी गम 2001 जसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया । सिने दर्शक जल्द ही इस जोडी को 'माई नेम इज खान 'में भी देख सकेगें । अपनी मेहनत और लगन के बलबूते शाहरुख खान अन्य अभिनेताओं से काफी दूर निकल चुके हं और आज किसी फिल्म में उनका होना ही सफलता की गारंटी माना जाता है।

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