शुक्रवार, 27 नवंबर 2009
करण जौहर का क अक्षर से प्रेम
प्रेम कुमार
हिन्दी फिल्म उद्योग के कई निर्माता-निर्देशक यदि किसी अक्षर विशेष से प्यार करने लगते हैं तो उसे फिर पूरा निभाते हैं। अक्षर विशेष से उनका प्रेम कभी फिल्मों के नाम तो कभी अभिनेत्रियों के नामों से हमेशा परिलक्षित होता रहा है। फिल्मों के निर्माण की दौड़ में हमेशा एक कदम आगे रहने वाले करण जौहर को क अक्षर से विशेष प्रेम है। वह अपनी फिल्मों की कामयाबी के लिए क से शुरू होने वाले टाईटल नाम और क अक्षर वाली नायिकाओं को हमेशा शुभ मानते आये हैं। 20 नवंबर को प्रदशत फिल्म कुर्बान, में उन्होंने एक बार फिर से टाइटल के लिए , क ,अक्षर और े क अक्षर वाली ही ग्लैमरस अभिनेत्री करीना कपूर का चुनाव किया है।
करण जौहर इसके पहले भी फिल्मों के टाइटल के लिये .क. अक्षर का ही इस्तेमाल करते आये हैं । बतौर निर्माता निर्देशक करण ने कुछ कुछ होता है. कभी खुशी कभी गम. काल. कल हो न हो. कभी अलविदा ना कहना जैसी क अक्षर वाली एक से बढ़कर एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई हैं। इसके अलावा करण जौहर की बनाई फिल्मों में नायिकायें भी अक्सर .क. अक्षर वाली ही रहती हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ कुछ होता है में काजोल कभी खुशी कभी गम में करीना कपूर और काजोल ने अभिनय किया है। फिल्म कल हो न हो में काजोल ने मेहमान भूमिका निभाई थी। करण जौहर की तरह ही फिल्म निर्मात्री एकता कपूर के लिए क अक्षर लकी रहा है। उनके बनाये गये टीवी सीरियल क अक्षर से ही शुरू होते हैं जिनमें कहानी घर घर की क्योंकि सास भी कभी बहू थी , कहीं तो होगा के स्ट्रीट पाली हिल कभी तो मिलेंगे कोई अपना सा ,कुसुम कुटुम्ब कसौटी जिंदगी की कैसर कैसा ये प्यार है कुमकुम और किसी रोज जैसे टीवी सीरियल काफी लोकप्रिय रहे हैं। इसके अलावा उनकी निमत फिल्मों के नाम भी अक्सर क अक्षर से ही शुरू होते है जिनमें बाक्सऑफिस पर सुपरहिट हो चुकी मैं झूठ नहीं बोलता के अलावा कोई आप सा कृष्णा काटेज क्या कूल है हम और कुछ तो है उल्लेखनीय हैं। प्रसिध्द निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन भी .क. अक्षर को अपनी फिल्मों के लिए लकी मानते रहे हैं। इस अक्षर से उन्होंने कामचोर , खुदगर्ज खून भरी मांग काला बाजार किशन कन्हैया कोयला करन अर्जुन ,कहो ना प्यार है कोई मिल गया और क्रिश जैसी कई सुपरहिट फिल्म बनाई है। उनकी अगली आने वाली फिल्म का नाम भी के से ही .काइट्स. है।
फिल्म इंडस्ट्री में शो मैन सुभाष घई म अक्षर वाली अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के लिये शुभ मानते रहे है । सुभाष घई ने फिल्म हीरो तथा मेरी जंग में मीनाक्षी शेषाद्रि रामलखन तथा खलनायक में माधुरी दीक्षित परदेस में महिमा चौधरी तथा सौदागर में मनीषा कोइराला को ले चुके हैं। इतना ही नहीं उनके बैनर का नामभी म से से ही मुक्ता आर्टस है। सुभाष घई की तरह ही राजकुमार संतोषी भी म अक्षर वाली अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के लिए शुभ मानते हैं। उनकी बनाई फिल्म घायल में मीनाक्षी शेषाद्रि और मौसमी चटर्जी ने तथा दामिनी में मीनाक्षी शेषाद्रि ने काम किया है। फिल्म लाा में तो सुभाष घई ने म अक्षर वाली तीन अभिनेत्रियों महिमा चौधरी मनीषा कोइराला और माधुरी दीक्षित का अभिनय प्रस्तुत किया। फिल्म चाइना गेट और घातक में ममता कुलकर्णी ने राजकुमार संतोषी के निर्देशन में काम किया। निर्माता-निर्देशक सावन कुमार को स अक्षर से विशेष लगाव है। इसके पहले भी वह अपनी कई फिल्मों के नाम में स अक्षर का इस्तेमाल कर चुके है। उनमें साजन बिना सुहागन साजन की सहेली , सौतन सौतन की बेटी और सनम बेवफा जैसी फिल्में भी शामिल है , जिन्होंने बाक्स आफिस पर अच्छी खासी कमाई की और कामयाब रहीं। प्रसिध्द निर्माता-निर्देशक जे0 ओम प्रकाश का अ अक्षर का प्रेम किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने सर्वप्रथम 1961में अ अक्षर से आस का पंछी फिल्म बनाई थी ,जिसके हिट होने के बाद उन्हें अ अक्षर से लगाव हो गया। इसके बाद उनकी लगभग सभी फिल्मे.अ अक्षर वाली रही। उनमें आपकी कसम आक्रमण अपनापन आशिक हूं बहारों का , आशा अर्पण आखिर क्यों आंधी आंखो आंखो में और आन मिलो सजना उल्लेखनीय हैं। रमेश शिप्पी को एस अक्षर से विशेष प्रेम रहा है। उन्होंने सीता और गीता शोले शान शक्ति और सागर जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया इनमें शोले ने कई कीतमान बनाये और अन्य फिल्मों ने भी शानदार बिजनेस किया। प्रसिध्द निर्देशक कल्पतरू अपनी फिल्मों के नाम में घर शब्द का इस्तेमाल करते आये है। घर द्वार घर का सुख घर घर की कहानी बडे घर की बेटी अपना घर घर हो तो ऐसा घर की लाज और घर की इात , जैसी .घर.शब्द वाली फिल्में है। डेविड धवन और गोविन्दा नं.1 को अपनी फिल्मों के लिए शुभ मानते हैं। इस जोडी की कुली नं. 1 हीरो नं. 1 जोडी नं.1 हिट रही है। इसके अलावा डेविड धवन की शादी नं.1 बीबी नं.1 सफल रही है। इसके अतिरिक्त गोविन्दा ने बेटी नं.1 और आंटी नं.1 में भी काम किया है।अक्षय कुमार अपनी फिल्मों में खिलाडी शब्द का अक्सर इस्तेमाल करते आये हैं। इनमें खिलाडी खिलाडियों का खिलाडी सबसे बडा खिलाडी इंटरनेशनल खिलाडी खिलाडी 420 मिस्टर ऐंड मिसेज खिलाडी और मैं खिलाडी तू अनाडी शामिल हैं।
प्रेम कुमार
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फिल्म संसार
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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