शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

.....खूब पानी पीयो और रोग भगाओ



रोगमुक्ति पानी ग्रहण करने की संतुलित मात्रा बचा सकती है बीमारियों
पानी यूं तो मनुष्य की बुनियादी जरूरत में शामिल हैं लेकिन सही और उचित मात्रा में इसके सेवन से कई बीमारियों से भी बचा जा सकता है। करीब डेढ दशक से जल थैरेपी के जरिए कई बीमारियों को दूर भगाने का दावा करने वाले प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ आशीष मेहता ने यूनीवार्ता से चर्चा में कहा कि जल की उचित मात्रा के सेवन से सर्दी. जुकाम. खांसी. दमा. मधुमेह. उच्च रक्तचाप. बुखार. मोटापा. गठिया. सिरदर्द और जननांगो संबंधी रोगो का निदान हो सकता है। डॉ मेहता ने बताया कि सुबह उठते ही व्यक्ति को गोदुग्धासन में बैठकर कम से कम पांच गिलास पानी पीना चाहिए। रात्रि के समय लकडी के आसन या टेबल पर तांबे के पात्र में रखा गया पानी पीना स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद होता है। सुबह के बाद दिन में एक साथ अधिक मात्रा में पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
उन्होने बताया कि प्रात:काल पीया गया पानी ऊषापान कहलाता है। इससे मनुष्य के यौवन और आयु में वृद्धि होती है। सुबह उठने पर बिना कुल्ला आदि किए ऊषापान करना सेहत के लिए बेहतर साबित होता है। डॉ मेहता ने जल चिकित्सा पद्धति के जरिए अनेक व्यक्तियों को विभिन्न रोगों से मुक्त करने का दावा करते हुए बताया कि भोजन के एक घंटे पहले और आहार ग्रहण करने के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। इससे कब्जियत समाप्त होती है और मोटापा भी कम होता है। उन्होंने कहा कि मौसम के अनुसार पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। उदाहरण के लिए गर्मी के मौसम में एक व्यक्ति को १ से १५ गिलास.सर्दी व वर्षा काल में आठ से दस गिलास पानी का सेवन करना चाहियें। संभव हो सके तो सूर्य उदय के पूर्व ठंडे पानी से स्नान करना चाहिये और गर्मी के दिनों में सोने से पूर्व स्नान से मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कटिस्नान से भी कई रोग ठीक होते हैं। उन्होंने कहा कि रात्रि में सोने से पूर्व ठंडे पानी से हाथ पैर धोकर शयन के लिए जाने से नींद अच्छी आती है। मौसम की अनुकूलता को देखते हुए स्नान करने से स्फूर्ति और शक्ति के साथ थकावट दूर होती है और त्वचा संबंध रोगो से भी मुक्ति मिलती है।

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