गुरुवार, 12 नवंबर 2009
....रूप और अभिनय दोनों में अव्वल माला सिन्हा
प्रसिध्द अभिनेत्री माला सिन्हा बालीवुड की उन चंद अदाकाराओं में हैं. जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है। ग्यारह नवम्बर 1936 को जन्मी माला सिन्हा अभिनेत्री नगस से प्रभावित थीं और बचपन से ही उन्हीं की तरह अभिनेत्री बनने का ख्वाब देखा करती थीं। उनका बचपन का नाम आल्डा था और स्कूल में पढने वाले बच्चो उन्हें ..डालडा.. कहकर पुकारा करते थे। बाद में उन्होंने अपना नाम अल्बर्ट सिन्हा की जगह माला सिन्हा रख लिया। स्कूल के एक नाटक में माला सिन्हा के अभिनय को देखकर बंगला फिल्मों के जाने.माने निर्देशक अर्धेन्दु बोस उनसे काफी प्रभावित हुए और उनसे अपनी फिल्म..रोशनआरा.. में काम करने की पेशकश की। उस दौरान माला सिन्हा ने कई बंगला फिल्मों में काम किया। एक बार बंगला फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में उन्हें मुम्बई जाने का अवसर मिला। मुम्बई में माला सिन्हा की मुलाकात पार्श्व गायिका गीता दत्त से हुई. जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें निर्माता.निर्देशक केदार शर्मा से मिलने की सलाह दी। उन दिनों केदार शर्मा अपनी फिल्म.. रंगीन रातें.. के निर्माण में व्यस्त थे। उन्हें माला सिन्हा में फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया औरइ उन्होंने माला सिन्हा को अपनी फिल्म के लिए अभिनेत्री के रूप में चुन लिया। वर्ष 1954 में प्रदशत फिल्म ..बादशाह ..में माला सिन्हा को प्रदीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला .जो नायिका के रप में उनकी पहली फिल्म थी । वर्ष 1954 में ही उन्हें एक बार फिर से प्रदीप कुमार के साथ फिल्म ..हेमलेट ..में काम करने का मौका मिला 1 दुर्भाग्य से उनकी दोनों फिल्में टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी लेकिन हेमलेट में उनके अभिनय को सराहा गया । माला सिन्हा के अभिनय का सितारा निर्माता.निर्देशक गुरूदत्त की 1957 में प्रदशत क्लासिक फिल्म .प्यासा से चमका । बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने माला सिन्हा को .स्टार. के रूप में स्थापित कर दिया । आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं । इस बीच माला सिन्हा ने राजकपूर के साथ परवरिश ् फिर सुबह होगी, देवानंद .के साथ लव मैरिज और शम्मी कपूर के साथ फिल्म उजाला में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया। माला सिन्हा को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचाने में निर्माता.निर्देशक बी.आर.चोपड़ा की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। वर्ष 1959 में प्रदशत फिल्म ..धूल का फूल .. के हिट होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में माला सिन्हा के नाम के डंके बजने लगे और बाद में एक के बाद एक कठिन भूमिकाओं को निभाकर वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गयी। धूल का फूल निर्देशक के रूप में यश चोपड़ा की पहली फिल्म थी। वर्ष 1961 में माला सिन्हा को एक बार फिर से बी.आर.चोपड़ा की ही फिल्म ..धर्मपुत्र ..में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी । इसके बाद 1963 माला सिन्हा ने बी.आर.चोपड़ा की सुपरहिट फिल्म ..गुमराह ..में भी काम किया । ऐसा माना जाता है कि फिल्म ..गुमराह .. बतौर अभिनेत्री माला सिन्हा की सवश्रोष्ठ फिल्म है । वर्ष 1965 में माला सिन्हा को एक बार फिर से बी.आर.चोपड़ा की फिल्म ..वक्त ..में काम करने का अवसर मिला लेकिन फिल्म में अश्लील बिकनी द्यश्य होने की वजह से उन्होंने फिल्म में काम करने से इन्कार कर दिया । माला सिन्हा ने अपने सिने कैरियर में उस दौर के सभी दिग्गज अभिनेताओं के साथ अभिनय किया। राजकपूर के साथ फिल्म परवरिश में भोला -भाला प्यार हो या फिर शम्मी कपूर के साथ फिल्म दिल तेरा दीवाना में मस्त अंदाज या फिर गुरूदत्त के साथ फिल्म प्यासा में संजीदा अभिनय या फिर में विश्वजीत के साथ दो कलियां में छैल..छबीला रोमांस हो .माला सिन्हा हर अभिनेता के साथ उसी के रंग में रंग जाती थीं।
महान अभिनेता दिलीप कुमार के साथ अभिनय करना किसी भी अभिनेत्री का सपना हो सकता है लेकिन माला सिन्हा ने उनके साथ फिल्म ..राम और श्याम ..में काम करने के लिये इसलिये इन्कार कर दिया कि वह फिल्म में अभिनय को प्राथमिकता देती थी न कि शोपीस के रूप में काम करने को । माला सिन्हा ने चार दशक लंबे सिने कैरियर में कई फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता लेकिन दुर्भाग्य सेकिसी भी फिल्म में सर्वश्रोष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर से सम्मानित नही की गयी । हालांकि धूल का फूल 1959 ् बहू रानी 1963 ्जहां आरा 1964 और हिमालय की गोद में 1965 के लिये वह सर्वश्रोष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिये अवश्य नामांकित की गयी । फिल्म के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये 2007 में उन्हें स्टार स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया । माला सिन्हा के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेता धमेन्द्र के साथ खूब जमी । सबसे पहले यह जोड़ी 1962 में प्रदशत फिल्म ..अनपढ़ ..में पसंद की गयी । इसके बाद इस जोड़ी ने पूजा के फूल 1963 , जब याद किसी की आती है ् नीला आकाश 1965 ् बहारे फिर भी आयेगी 1966 ् और आंखे 1968 जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया। धर्मेन्द्र के अलावा उनकी जोड़ी विश्वजीत ् प्रदीप कुमार और् मनोज कुमार के साथ भी पसंद की गयी । हिन्दी फिल्मों के अलावा माला सिन्हा ने अपने दमदार अभिनय से बंगला फिल्मों में भी दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया । वर्ष 1957 में प्रदशत फिल्म ..पृथ्वी आमाके चाये ..में उन्हें सुपरस्टार उत्तम कुमार के साथ काम करने का मौका मिला । इस फिल्म में पार्श्वगायिका गीता दत्त की आवाज में फिल्माया गीत ..निशि रात बांका चांद ..आज भी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है । वर्ष 1958 में प्रदशत बंगला फिल्म ..लुकोचुरी ..माला सिन्हा के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी । इस फिल्म में उन्हें किशोर कुमार के साथ काम करने का मौका मिला । बंगला फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में यह फिल्म सर्वाधिक हास्य से परिपूर्ण सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है और आज भी जब कभी कोलकाता में छोटे पर्दे पर यह फिल्म दिखाई जाती है दर्शक इसे देखने का मौका नही छोड़ते । इसके बाद माला सिन्हा ने बोन्धु 1958 शहरेर इतिकथा 1960 और साथीहारा 1960 जैसी सुपरहिट बंगला फिल्मों में भी काम किया । वर्ष 1966 में माला सिन्हा को नेपाली फिल्म ..माटिघर..में काम करने का मौका मिला । फिल्म के निर्माण के दौरान नकी मुलाकात फिल्म के अभिनेता ..सी.पी.लोहानी .से हुयी जो इस फिल्म के अभिनेता थे । फिल्म में काम करने के दौरान माला सिन्हा को उनसे प्रेम हो गया और बाद में दोनों ने शादी कर ली । सत्तर के दशक में शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचने के बावजूद माला सिन्हा ने कई नये अभिनेताओं को स्थापित करने के लिये उनके साथ काम किया । इन फिल्मों में संजीव कुमार के साथ ..कंगन ..राजेश खन्ना के साथ ..मर्यादा ..और अमिताभ बच्चन के साथ संयोग ..खास तौर पर उल्लेखनीय है । माला सिन्हा ने लगभग 100 फिल्मों मे काम किया . कुछ उल्लेखनीय फिल्में है ..रंगीत रातें 1956,प्यासा 1957, धूल का फूल 1959,धर्मपुत्र 1961 ् अनपढ़ ् हरियाली और रास्ता 1962, गुमराह 1963 ् जहांआरा 1964, जब याद किसी की आती है , हिमालय की गोद में 1965, आंखें, दो कलियां 1968, मेरे हुजूर 1969 ,गीत 1970 , मर्यादा 1971, कर्मयोगी 1977् खेल 1994 आदि।
..प्रेम कुमार से..
लेबल:
जिंदगी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
माला सिन्हा सचमुच मेरी भी पसंदीदा अभिनेत्री रही हैं. क्या अभिनय क्या ग्रेस और क्या सुन्दरता - सभी में बेजोड़ . मनोज कुमार के साथ उनकी जोड़ी खूब जमती थी .
जवाब देंहटाएंमाला सिन्हा सचमुच मेरी भी पसंदीदा अभिनेत्री रही हैं. क्या अभिनय क्या ग्रेस और क्या सुन्दरता - सभी में बेजोड़ . मनोज कुमार के साथ उनकी जोड़ी खूब जमती थी .
जवाब देंहटाएं