शुक्रवार, 6 नवंबर 2009
.....अब वृद्ध भी अपना रहे लिव-इन रिलेशनशिप
बॉलीवुड फिल्म ‘सलाम-नमस्ते’ ने युवा पीढ़ी में तेजी से लोकप्रिय हो रही ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ नामक जीवनशैली पर प्रकाश डाला था। गुजरात में इस फिल्म का वृद्धजनों पर विशेष प्रभाव दिख रहा, विशेष कर उन पर जो एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
दरअसलगुजरात राज्य के 350 वृद्धजन ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ संबंध से इतने प्रभावित हुए हैं कि इसे स्वीकारने की तैयारी दर्शा रहे हैं। खास बात यह है कि यह लोग ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ के फायदे और पुनर्विवाह के नुकसानदायक पक्षों पर खुलकर विचार व्यक्त कर रहे हैं।
गुजरात में वरिष्ठ नागरिकों के पुहनर्विवा हेत सक्रिय ‘बिना मूल्य के अमूल्य सेवा’ नामक स्वैच्छिक संगठन के नटुभाई पटेल व भारतीबहन रावल ने बताया कि हमारे संगठन के पास करीब 1200 आवेदन विचाराधीन हैं। इनमें से 350 ने ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ में रहने की रजामंदी दी है।
यह लोग अहमदाबाद, राजकोट, सूरत व वडोदरा से हैं। इनमें 330 पुरुष व शेष महिलाएं हैं। ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ की हिमायती एक वृद्धा ने कहा कि इस उम्र में विवाह करने पर समाज में बदनमी होगी। इससे बचने के लिए हम परस्पर सहमति से एक साथ रह सकते हैं आखिर इसमें बुराई क्या है?
..ताकि जारी रहे वृध्दावस्था पेंशन
अहमदाबाद की स्मिताबहन व सूरत के नरेशभाई (दोनों 70 से अधिक) अभी बिना विवाह किए आराम से अहमदाबाद में रह रहे हैं। दोनों के पूर्व जीवनसाथी इस दुनियां में नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि दो वर्ष पहले तक अलग-अलग शहरों में रहने वाले इन वृद्धों ने विवाह किए बिना ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ में एक साथ रहने का फैसला किया। ऐसा करने पर स्मिताबहन को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन पर कोई आंच नहीं आएगी लेकिन दोनों पुनर्विवाह कर साथ रहते तो स्मिताबहन की उक्त पेंशन बंद हो जाती।
ग्रीनकार्ड की खातिर
महाराष्ट्र के थाणो निवासी रमेशभाई और अहमदाबाद की हिनाबहन बिना पुनर्विवाह किए अहमदाबाद में साथ-साथ रह रहे हैं। हिनाबहन ग्रीनकार्ड होल्डर हैं। ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ संबंध की वजह से उनका ग्रीनकार्ड स्टेटस बरकरार है। इसलिए उनके संबंधियों को भी ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ संबंध मंजूर है। फलत: हिनाबहन शहर में परिजनों से अलग शहर के एक अपार्टमेंट में रमेशभाई के साथ रह रही हैं।
संपत्ति पर आंच नहीं
अहमदाबाद के महेशभाई का मामला सबसे दिलचस्प है। वे धनवान हैं। ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ की पैरवी करते हुए महेशभाई ने बताया कि ऐसे संबंध में आपका साथी पात्र से मन नहीं मिले तो आप आसानी से अलग हो सकते हैं। विवाह-पुनर्विवाह की स्थिति में आप बंधन में आ जाते हैं। दो वर्ष पहले महेशभाई की पत्नी का स्वर्गवास हो गया था।
सता रहा अकेलापन
लिव-इन रिलेशनशिप स्वीकार करने वाले अधिकांश वृद्धों के फैसले की वजह एकाकीपन, समाज का डर, आर्थिक पक्ष, देखभाल तथा उम्र के आखिरी पड़ाव पर संतानों की उपेक्षा व इससे होने वाली पीड़ा आदि मुख्य कारण हैं। साथ ही उम्र के आखिरी पड़ा में विवाह विच्छेद जैसी पीड़ादायक स्थिति से बचने की गणना के साथ भी कई वृध्दजन ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ संबंध को तरजीह दे रहे हैं।
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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नई पहल!
जवाब देंहटाएंजानकारी अच्छी है. ऐसे हालातों में जब उम्र का अंतिम पड़ाव हो और बच्चे तक साथ छोड़ कर चले जाएँ, एक साथी की ज़रूरत समझ में ज़रूर आती है.
जवाब देंहटाएं