बुधवार, 4 नवंबर 2009
.......थ्रीजी से बदल जायेगी मोबाइल की दुनिया
विश्व में सबसे तेजी से उभरते भारतीय
टेलीकॉम बाजार में विभिन्न कंपनियां अभी तक उपभोक्ताओं को टूजी आधारित दूसरी पीढ़ी की मोबाईल सेवायें ही उपलब्ध करा रही हं लेकिन वर्ष कशुरुआत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने देश के 11 शहरों में एक साथ थ्रीजी सेवाएं शुर करके इस क्षेत्र में नये युग का सूत्रपात कर दिया है।
थ्रीजी की शुरुआत सबसे पहले तकनीकी और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वश्विक स्तर पर अपना लोहा मनवाने वाले एशियाई देश जापान में वर्ष 2001 में हुई थी ।धीरे-धीरे इस तकनीक का विस्तार विश्व के अन्य देशों में भी हुआ । वर्ष 2002 में यह तकनीक दक्षिण कोरिया पहुंची जबकि पांच साल पूर्व यह विश्व की एकमात्र महाशक्ति अमरीका में आरंभ की गई । इस समय वश्विक स्तर पर करीब चालीस देशों में विभिन्न टेलीकॉम कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को यह सुविधा उपलब्ध करा रही ह। एक अनुमान के मुताबिक इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों के मामले में भारत इस समय तीसरे स्थान पर हं लेकिन आज भी देश के
अधिकतर शहर और गांव हाई स्पीड इंटरनेट सेवा से वंचित है।
हालांकि पिछले पांच सालों के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में ब्रॉडबंड आधारित इंटरनेट सेवा का विस्तार हुआ ह लेकिन विभिन्न कारणों से इसकी पहुंच अब भी अधिकतर शहरों तक ही सीमित ह। थ्रीजी आधारित सेवाओं के शुरू हो जाने से लोग सुदूर क्षेत्रों में हाई स्पीड इन्टरनेट का इस्तेमाल आसानी से करने लगेंगे। इस समय देश के पचास से अधिक शहरों में सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल थ्रीजी सेवायें उपलब्ध करा रही ह और जल्द ही इन सेवाओं का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर करने की तयारी ह।कुछ माह पूर्व केन्द्र सरकार ने थ्रीजी के लिये स्पेक्ट्रम की नीलामी करने का निर्णय लिया ह जिससे इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को भी प्रवेश मिल सकें । हालांकि इस नीलामी में न्यूनतम आरक्षित मूल्य तीन हजार पांच सौ करोड़ रूपये रखा गया ह । नीलामी के दौरान जो भी बोली लगेगी उतनी ही राशि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को चुकानी होगी। मोबाईल का इस्तेमाल अब तक अधिकतर बातचीत के लिये ही किया जाता था लेकिन थ्रीजी सेवाओं के आरंभ होने से उपभोक्ताओं केमोबाईल में पूरी दुनियां सिमट कर आ जायेगी । इससे उपभोक्ता बातचीत के दौरान दूसरी तरफ के व्यक्ति को हाई स्पीड वीडियों स्ट्रीमिंग के जरिये सीधे लाइव देख सकते ह । इसके अलावा इस तकनीक के सहारे ब्रॉडबंड से भी तेज गति का डाटा ट्रांसफर्मर किया जा सकेगा जिससे लोग इंटरनेट के संसार में उपलब्ध सभी तरह की जानकारियां अपने मोबाईल पर बिजली की गति में प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यदि कोई व्यक्ति मोबाईल फोन में पांच मिनट का लंबा गाना डाउन लोड करना चाहता है तो उसे इसमें महज तीन से पांच मिनट का समय लगेगा। इक्कीसवीं सदी की जिन्दगी रफ्तार पर आधारित है और हर किसी के पास समय की कमी है। ऐसे में थ्रीजी के आने से सूचना, व्यापार और मनोरंजन की दुनियां पूरी तरह बदल जायेगी। इससे न केवल मोबाईल का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को फायदा होगा बल्कि सेवाएं देने वाली कंपनियों को भी राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी होने की पूरी संभावना है। थ्रीजी का जादू मनोरंजन के साथ अब शिक्षा के क्षेत्र पर भी पड़ने लगा है।
हाल में देश के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने मोबाईल पर ही अध्ययन सामग्री के साथ- साथ वीडियो लेक्चर के अलावा पाठयक्रम से जुड़ी कई सामग्रियां उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली है । अब न छात्रों के लिये परम्परागत कक्षा की जरूरत होगी और न ही लाइब्रेरी जाकर किताबें ढूंढने की जरूरत होगी। वर्तमान दौर में थ्रीजी सेवाओं में टेलीकॉम कंपनियों के बीचप्रतिस्पर्धा नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं को उपयोग के बदले अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ रही है लेकिन निजी कंपनियों के आमगन के साथ ही इस क्षेत्र में विस्तार के साथ-साथ सेवा- शुल्क में गिरावट कीपूरी संभावना है।
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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