डॉ. धर्मेंद्र गुप्ता
सुनो माननीय शिवराज, इस आम आदमी की आवाज।
बनाओ ना इस मध्यप्रदेश को भारत के सर का ताज।।
तुमसे हमें बस इतना ही कहना है।
इस आम आदमी को खुशहाल मध्यप्रदेश में रहना है।।
सुना है...
कल रात एक माँ ने अपने बच्चे को भूखा सुलाया था।
एक पति ने अपनी पत्नी को पीट-पीटकर जलाया था।।
सुना है...
कल उस मूँछ वाले घूसखोर ने खूब कमाया था।
कल ही उसने अपना एक नया घर बनावाया था।
सुना है...
कल एक युवक कुछ रद्दी बेचकर आया था।
उसमें मार्कशीट थी, ९० प्रतिशत अंक पाया था।।
सुना है...
कल एक पिता ने अपने बेटे की चिता को जलाया ।
सरकारी डॉक्टर ने उसे अपने क्लिनिक बुलाया था।।
सुना है...
आप चाहते हैं कि हर आदमी इस प्रदेश को अपना माने।
पर इन तकलीफों को वह किस तराजू पर तौले।।
सुना है...
आप इन तकलीफों को हमसे दूर करेंगे।
तभी हम इसे अपना मध्यप्रदेश कहेंगे।।
डॉ. धर्मेंद्र गुप्ता
शुक्रवार, 13 नवंबर 2009
.........एक गुजारिश शिवराज से
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कविता
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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वाह सर,
जवाब देंहटाएंवाकई तारीफे काबिल है आपका लेख , लेकिन कौन सुनता है आपकी बात, किसको समय है इन सच्चाई को स्वीकारने की, समय भी हो तो हिम्मत किसकी है की इन हकीकत को स्वीकार सके।