बुधवार, 30 मार्च 2016
कविताएँ - एकांत श्रीवास्तव
एकांत श्रीवास्त्व छत्तीसगढ़ की सौंधी माटी में रचे-बसे युवा साहित्यकार हैं। शरद बिल्लौरे पुरस्कार, केदार सम्मान, दुष्यंत कुमार पुरस्कार, ठाकुर प्रसाद सिंह पुरस्कार, नरेन्द्रदेव वर्मा पुरस्कार और हेमंत स्मृति कविता सम्मान से सम्मानित एकांत कलकत्ता में रेलवे में हिंदी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा वे साहित्यिक पत्रिका वागर्थ के संपादक हैं। उनकी कविताओं में समाज की विद्रूपताएँ रेखांकित होती हैं। सरल और सहज शब्दों के माध्यम से वे अपने मन की बात के साथ-साथ समाज की सच्चाई भी आसानी से कह देते हैं। युवा रचनाकारों में इनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। प्रस्तुत है उनकी कुछ कविताएँ...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें