ठंड का मौसम, याने सेहत बनाने का मौसम। यही मौसम है, जब बाज़ार में सब्ज़ियाँ खूब आती हैं। सस्ती भी होती हैं। इन सब्ज़ियों में भरपूर विटामिन पाए जाते हैं। पर अगर हमें अपने शरीर को वर्ष भर निरोगी रखना है, तो हमें बाजारों में खूब बिकने वाली गाजर खूब खाना चाहिए। गाजर शरीर में कई तरह से लाभ पहुँचाने वाली सब्ज़ी है। इसके अलावा यह औषधीय गुणोें से भी भरपूर है।
कहा गया है कि शरीर में लौह तत्व बनते नहीं हैं। यह हमारी शुराक के माध्यम से शरीर में पहुँचते हैं। शरीर को कई आवश्यक पदार्थों की ज़रूरत है, इसमें से एक कैरोटीन। वैसे तो यह संतारा, टमाटर, पत्ता गोभी, मटर, पालक आदि में पाया जाता है। पर गाजर में इसका सबसे बड़ा स्रोत है। लौह तत्वों में लबालब होने के कारण गाजर शरीर में नया खून बनाने में सक्षम है, वहीं इसमें कैरोटीन अधिक होने से यकृत में विटामिन ए का निर्माण होता है।
गाजर एक ऐसा प्राकृतिक आहार है, जिसे कच्चा चबाकर तथा सब्ज़ी बनाकर खाया जाता है। शहरों में गाजर के जूस का प्रचलन ज्यादा है। दूसरी ओर इसका अचार, हलुवा भी लोग चाव से खाते हैं। ठंड की प्रार्टियों में गाजर का हलुवा तो महत्वपूर्ण डिश के रूप में होता है। यह दाम में सस्ती है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इसमें विटामिन नहीं हैं। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर एक ऐसा कंद है, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। गाजर में बीटा कैरोटीन तो काफी अधिक मात्रा में पाया ही जाता है, साथ ही इसमें विटामिन ए, बी, सी, डी, एवं ई की भी भरपूर मात्रा विद्यमान रहती है।
आइए, अब देखें, हमारे वैज्ञानिकों को गाजर में क्या-क्या मिला ? उनकी विवेचना के अनुसार गाजर में प्रोटीन 1.2 प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट 9.5 प्रतिशत, वसा 0.3 प्रतिशत, जल 88.2 प्रतिशत, खनिज 0.6 प्रतिशत और शर्करा 10 प्रतिश पाई जाती है। यही नहीं इसके अलावा लौह तत्व 2.2 मिलीग्राम फास्फोरस 30 मिलीग्राम, गंधक 27 मिलीग्राम, तांबा 10.13 मिलीग्राम और पेक्टेन, एल्यूमिन आदि भी पाए जाते हैं। यह सभी तत्व शरीर के लिए आवश्यक भी हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका की सेंटर फॉर साइंस फॉर पब्लिक नेशनल हार्ट एवं लंग्स ने गाजर के रस का परीक्षण 22 हज़ार लोगों पर कियाह्न यह परीक्षण टांसिल, अल्सर, खून की खराबी, एपेंडीसाइटिस, कैंसर, एनीमिया, पथरी, एसीडिटी तथा ऑंतों के रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों पर किया गया। इससे चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए। इससे प्रेरित होकर फ्रांस, जर्मनी तथा कई यूरोपीय देशों ने गाजर के रस का प्रयोग कई असाध्य बीमारियों के इलाज में किया है, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं।
आप जानते हैं गाजर में इंसुलिन जैसे तत्व तथा टाकोकीलीन नामक हार्मोन पाया जाता है। मधुमेह याने डायबिडीज़ के रोगियों को जहाँ साधारण चीनी से हानि होती है, वहीं गाजर तथा चुकंदर से प्राप्त चीनी लाभदायक होती है। गाजर में एंटीसेप्टिक गुण भी हैं, जिससे शरीर में रोगाणुओं का प्रवेश रूकता है। घाव जल्दी भर जाते हैं। इसमें एक ऐसा क्षार है, जो भोजन को आसानी से पचाता है, साथ ही अम्लीयता दूर करता है।
इसके अलावा गाजर बुखार, मलेरिया आदि के कारण उत्पन्न कमज़ोरी को दूर करने या रक्त की कमी से पीड़ित लोगों के लिए घेंघा व रक्त विकारों में यह काफी उपयोगी है। गर्भवती महिलाओं के लिए गाजर का जूस अत्यंत लाभकारी है। जिन माताओं में दूध की कमी होती हैं, वे यदि नियमित रूप से गाजर का जूस पीयें और बच्चे को स्तनपान कराएँ, तो बच्चे का मानसिक विकास और बेहतर होता है। ऑंखों के लिए तो गाजर का सेवन बहुत आवश्यक है। इसमें जो विटामिन ई होता है, उससे बंध्यत्व दूर होता है। इसके अलावा मूत्र रोग, धातु की कमज़ोरी, नपुंसकता, कब्ज़, पित्त विकास आदि अनेक रोगों के नाश में सहायक है ये गाजर।
एक अमरीकी डॉक्टर एच.ई.क्रिश्नर ने अपनी पुस्तक ''लिव ऑन फूड जूसेस'' में गाजर से कैंसर दूर भगाने के अनेक दृष्टांत किए हैं। ख़ासकर रक्त कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए गाजर को काफी उपयोगी बताया है। गाजर वैसे तो वर्ष भर मिलती है, पर अक्टूबर से अप्रैल तक यह अधिक मात्रा में उपलब्ध रहती है। इसकी खेती मूली की तरह की जाती है। ठंड के दिनों में शरीर मे पानी की कमी को गाजर आसानी से पूरा करती है।
तो साथियों, जान लिया ना कि गाजर हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी उपयोगी है। यह महँगी भी नहीं मिलती, तो आप अब जब भी बाज़ार जाएँ तो कम से कम दो किलो गाजर अवश्य लाएँ। हलुआ बनाएँ, जूस पीएँ और सलाद के रूप में लें फिर देखिए, घर का एक-एक सदस्य आपको चहकता हुआ और मस्ती से भरा हुआ मिलेगा।
डॉ.महेश परिमल
गुरुवार, 29 नवंबर 2007
विटामिन का सस्ता खजाना गाजर
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अभिमत
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी सुंदर जानकारी आपका आभारी हूँ धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने ..आज ही ले के आती हूँ गाजर :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया। गाजर के लिए ही तो पूरी गरमी और बरसात झेल जाते हैं हम।
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