भारती परिमल
स्वर लहरियों को हम सबके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, इसे हम भले ही न समझते हों, पर सच यह है कि ये स्वर लहरियाँ जब भी हवा में गूँजती हैं, तब संगीत की थोड़ी भी जानकारी रखने वाला या संगीत का कुछ भी न समझने वाला व्यक्ति झूम उठता है. जानते हैं इसकी वजह? ये स्वर लहरियाँ हमारे भीतर के रोग को दूर करने में बहुत सहायक है. कई चिकित्सकों ने भी इसे माना है दवा, दुआ के बाद ये राग ही हें, जो रोग को दूर करने में सक्षम हैं.
णहर मनुष्य को अपने जीेवन में कभी न कभी किसी न किसी रोग का सामना करना पड़ता ही है. बुखार, मधुमेह, एसीडीटी, डिप्रेशन, चर्म रोग, अस्थमा, नेत्र रोग आदि ऐसे रोग हैं, जिनसे अक्सर लोगों का पाला पड़ता रहता है. आपको आश्चर्य होगा कि इस तरह के रोग संगीत से जुड़े लोगों को कम ही होते हैं, क्योंकि संगीत में वह जादू है, जो कई रोगों को ठीक करने में सहायक होता है. नए शोध बताते हैं कि कई राग ऐसे हैं, जिन्हें सुनने से ही रोग दूर हो जाते हैं.
बचपन में अक्सर माँ की लोरी सुनकर सोने वाले बड़े होकर भी यह नहीं जान पाते कि लोरी सुनते हुए उन्हें आखिर नींद क्यों आ जाती थी. शायद इसमें भी कोई राग छिपा हो. पर सच तो यह है कि संगीत के रागों का असर केवल इंसान ही नहीं, बल्कि पशुओं और पेड़-पौधों पर भी होता है. अक्सर अखबारों में पढ़ा होगा कि गाय का दूध निकालते समय यदि संगीत का वातावरण हो, तो वह अपेक्षा से अधिक दूध देती है. यही हाल पेड़-पौधों का भी है, वे भी संगीत के असर से तेजी से बढ़ते हैं और कुछ अन्य विशेषताएँ लिए हुए होते हैं.
यह बात अलग है कि कुछ लोग तो शास्त्रीय संगीत में ऐसे डूबे होते हैं कि वे उससे अलग हो ही नहीं सकते. आज की युवा पीढ़ी तो कानफोड़ू संगीत में डूबी हुई है, पर बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें फिल्मी गीत अच्छे लगते हैं. अब अगर यह कहा जाए कि कुछ फिल्मी गीत के केसैट या सीडी घर पर ही रखें, तो कई रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. ये भले ही फिल्मी गीत हैं, पर शास्त्रीय संगीत पर आधारित होने के कारण इनमें रोग को दूर करने का सामर्थ्य है.
पुरानी हिंदी फिल्मों के गीत इतने मधुर होते थे कि उसे सुनकर लोग आज भी झूम उठते हैं. 1960-80 के दो दशकों के गीत वास्तव में दिल को सुकून देने वाले हैं. संगीत का मन और शरीर पर क्या असर होता है, इस विषय पर शोध करने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि जो गीत आज के बच्चों को भी अच्छे लगते हैं, वे गीत शास्त्रीय राग पर आधारित कर्ण प्रिय सुगम संगीत है. शास्त्रीय संगीत के विशेषज्ञों के अनुसार शास्त्रीय राग में सुर की जमावट विशेषकर इस प्रकार करने में आई है कि यह मन के विविध केंद्रों को कम-अधिक अनुपात में बाँधे रखते हैं. परिणामस्वरूप मस्तिष्क के विकार को राग सुनकर ठीक किया जा सकता है. मन और मस्तिष्क के विकार को दूर करने में संगीत के राग मुख्य भूमिका निभाते हैं.
यूरोप-अमेरिका के विशेषज्ञों के ध्यान में ये बात आई, तब से वे सुर का मस्तिष्क पर होने वाले असर की जाँच करने में लगे हुए हैं. इस तरह से विकसित हो रही है म्युजिक थेरेपी, जो विविध राग के उपयोग से अनेक रोग मिटाने के प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे दर्जनों प्रयोग सफल भी हो चुके हैं. अब आते हैं उन सुरों पर जो रोग को ठीक करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं- अब जैसे किसी को बुखार आ रहा हो, तो वह राग मालकौस या राग वसंत बहार पर आधारित गीत सुने, तो उसका बुखार कम हो सकता है. मालकौस राग पर आधारित फिल्म 'बैजूबावरा' का गीत 'मन तड़पत हरि दर्शन को आज' गीत में बुखार कम करने का सामर्थ्य है. बारिश में खूब भीगने वाले लोग अक्सर चर्म रोग के शिकार होते हैं, उससे शरीर में खुजली होती है. यदि ये लोग राग मेघ-मल्हार और देसराग पर आधारित गीत सुनें, तो उन्हें खुजली से राहत मिलती है. देसराग पर आधारित गीत है 'चली कौन से देश गुजरिया, तू सज-धज के' , राग मल्हार का गीत है- 'बोले रे पपिहरा'. इसी तरह मेघ राग पर आधारित गीत है- 'कहाँ से आए बदरा, घुलता जाए कजरा'.
किस रोग पर किस राग का कौन सा गीत?
रोग राग गीत
बुखार मालकौस मन तडपत हरि दर्शन को..
चर्म रोग देस चली कौन से देश गुजरिया..
मल्हार बोले रे पपिहरा..
मेघ कहाँ से आए बदरा
एसिडीटी कलावती कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा
मधुमेह जयजयवंती जब रात है ऐसी मतवाली, फिर सुबह का
जौनपुरी मेरी याद में तुम न ऑंसू बहाना..
मानसिक तनाव ललित एक शहंशाह ने बनवा के हँसी ताजमहल..
नंद तू जहाँ-जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा
नंद ये वादा करो चाँद के सामने
घबराहट अहीर-भैरव पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई
हृदय रोग भैरवी सुनो छोटी सी गुड़िया की लंबी कहानी
भैरवी तू गंगा की मौज, मैं जमुना का धारा
शिवरंजनी जाने कहाँ गए वो दिन
अस्थमा यमन वो जब याद आए, बहुत याद आए
यमन एहसान तेरा होगा मुझ पर
नेत्ररोग बसंत बहार नैन से नैन काहे मिलाओ
तो देखा आपने, हम जो दिन भर रेडियो, टीवी पर गीत सुनते रहते हें, वे अनजाने में हमारे रोगों को किस तरह से ठीक करते हैं. ये गीत जानने के बाद आप शायद इन गीतों के लाभ से अनभिज्ञ नहीं होंगे. म्युजिम थेरेपी यदि सचमुच रोगों को ठीक करने लगे और लोग इसका भरपूर लाभ उठाएँ, तो वह दिन दूर नहीं, जब ऐसे केसैट और सीडियाँ बाजार में मिलेंगी, जिनसे विभिन्न रोग दूर होते हैं. तब उनमें फिल्मों के नाम नहीं लिखे होंगे, बल्कि रोगों के नाम लिखे होंगे. इसके लिए बस थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा.
भारती परिमल
शुक्रवार, 30 नवंबर 2007
राग से दूर हो सकते हैं रोग
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अभिमत
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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