शनिवार, 19 नवंबर 2016
कविता - 3 - उपकार - कुमार अंबुज
कविता का अंश...
मुसकराकर मिलता है एक अजनबी,
हवा चलती है उमस की छाती चीरती हुई,
एक रुपये में जूते चमका जाता है एक छोटा सा बच्चा,
रिक्शेवाला चढ़ाई पर भी नहीं उतरने देता रिक्शे से,
एक स्त्री अपनी गोद में रखने देती है उदास और थका हुआ सिर,
फकीर गाता है सुबह का राग और भिक्षा नहीं देने पर भी गाता रहता है।
अकेली भीगी कपास की तरह की रात में,
एक अदृश्य पतवार डूबने नहीं देती जवानी में ही जर्जर हो गए हृदय को,
देर रात तक मेरे साथ जागता रहता है एक अनजान पक्षी,
बीमार सा देखकर अपनी बर्थ पर सुला लेता है सहयात्री,
भूखा जानकर कोई खिला देता है अपने हिस्से का खाना,
और कहता है वह खा चुका है।
जब धमका रहा होता है चैराहे पर पुलिसवाला,
एक न जाने कौन आदमी आता है कहता है,
इन्हें कुछ न कहें ये ठीक आदमी हैं,
बहुत तेजी से आ रही कार से बचाते हुए,
एक तरफ खींच लेता है कोई राहगीर,
जिससे कभी बहुत नाराज हुआ था वह मित्र,
यकायक चला आता है घर,
सड़क पर फिसलने के बाद सब हँसते हैं नहीं हँसती एक बच्ची।
जब सूख रहा होता है निर्जर झरना,
सारे समुद्रों, नदियों, तालाबों, झीलों और जलप्रपातों के,
जल को छूता हुआ आता है कोई कहता है मुझे छुओ,
बुखार के अँधेरे दर्रे में मोमबत्ती जलाये मिलती है बचपन की दोस्त।
एक खटका होता है और जगा देता है ठीक उसी वक्त,
जब दबोच रहा होता है नींद में कोई अपना ही,
रुलाई जब कंठ से फूटने को ही होती है,
अंतर के सुदूर कोने से आती है ढाढ़स देती हुई एक आवाज,
और सोख लेती है कातर कर देनेवाली भर्राहट,
इस जीवन में जीवन की ओर वापस लौटने के,
इतने दृश्य हैं चमकदार,
कि उनकी स्मृति भी देती है एक नया जीवन।
इस कविता का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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