शुक्रवार, 11 नवंबर 2016
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती - सोहनलाल द्विवेदी
यह कविता इस विवाद में रही है कि इसके रचयिता 'बच्चन' हैं या 'निराला' लेकिन इसके वास्तविक रचनाकार हैं सोहनलाल द्विवेदी। स्वयं अमिताभ बच्चन ने ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से इस बात की पुष्टि की कि यह रचना उनके 'बाबूजी' की न होकर 'सोहनलाल द्विवेदी की ही है।' हमें यह कविता आप तक पहुँचाते हुए अत्यंत हर्ष अनुभव हो रहा है।
कविता का अंश...
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्ही चींटीं जब दाना ले कर चढ़ती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगॊं मे साहस भरता है,
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है,
मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जा कर खाली हाथ लौट कर आता है,
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
इस कविता का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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