मुसीबतों का स्वागत करना सीखें
डा. महेश परिमल
यह मानव कुछ अजीब ही प्रवृत्ति का है. हीरे को तो पसंद करता है, लेकिन हीरे के बनने की प्रक्रिया से दूर भागता है. शायद इसे ही कहते हैं, 'गुड़ से प्यार और गुलगुले से परहेज.' संतान की चाहत हर किसी को होती है. पर हर कोई प्रसव वेदना को स्वीकार करना नहीं चाहता. मनुष्य के साथ ऐसा ही है. जिसमें उसका स्वार्थ सधा होता है, उसके लिए वह सब कुछ करने को तैयार रहता है. इसीलिए जब कभी उसके जीवन में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है, तब वह विचलित हो जाता है. वह निराशा के अंधकार में घिर जाता है. उसे कोई रास्ता नहीं सूझता. ऐसे लोग सदैव विफल रहते हैं.
सीधी सी बात है, जब आप गुलाब को प्यार करते हैं, तो भला उसके काँटों से क्यों दूर रहना चाहेंगे? जीवन के हर पहलू को सहजता से स्वीकार करना चाहिए. जैसा आप चाहेंगे, क्या सभी कुछ वैसा ही होता जाएगा? हमें प्रकृति के साथ चलना चाहिए. ऋतुएँ बदलती हैं, उसके अनुसार मानव स्वयं को ढालता है. गर्मी में अपनी छत पर सोता है. ठंड में गरम कपड़े पहनकर बाहर निकलता है, और बारिश मेें बरसते पानी का मजा लेने के लिए वह घर से बाहर निकलता है. यदि इंसान बारिश में गर्मी की चाहत करे, तो क्या यह संभव है? शायद बिलकुल नहीं.
इंसान मुसीबतों से घबराता है. कुछ ऐसे भी लोग होते हैं,जो मुसीबतोें को अपने आप बुलाते हैं, क्योंकि उन्हें शाँक होता है मुसीबतों के बीच रहने का. कोई एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचना चाहता है, तो कोई दक्षिणी धु्रव पहुँचकर वहाँ के जीवन के बारे में जानना चाहता है. आखिर ऐसा क्यों? वह भी अपने घर पर बैठकर अपना काम करता. क्या पड़ी थी उसे ठिठुरती ठंड में जाने की? लेकिन ऐसा नहीं है. ये सभी मुसीबतों को अपना साथी मानते हैं. उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि सुख के दिन छोटे होते हैं. पल भर में ही बीत जाते हैं. लेकिन मुसीबतों के दिन भले ही छोटे हों, पर लंबे लगते हैं. क्यों न इसे भी खुशियों के साथ बिताया जाए? वास्तव में देखा जाए, तो मुसीबतें इंसान की परीक्षा लेने के लिए आती हैं. मुसीबत आई है इसका मतलब यही है कि आप किसी बहुत बड़ी सफलता के करीब हैं. मुसीबत के रूप में आपके सामने यह आखिरी अवरोध है. अवरोध पार करते ही आप सफलता की सीढ़ियों पर होंगे. पर इंसान इस मुसीबत रूपी सफलता को अपने जीवन का अवरोध मान लेता है और हार कर बैठ जाता है. यहीं उससे चूक हो जाती है.
इसीलिए हमें सिक्के के दोनों पहलुओं को ध्यान में रखना होगा. यदि आप कहें कि मुझे तो गर्मी का मौसम ही अच्छा लगता है और मैं हमेशा इसी मौसम में रहना चाहता हूँ, तो संभव है आपके लिए वही मौसम अप्राकृतिक रूप से तैयार भी कर दिया जाए. लेकिन आपकी यह जिद आपको प्रकृति से दूर कर देगी. आप समय से काफी पीछे चले जाएँगे. मुसीबतों से घबराना नहीं चाहिए. वह निश्चित ही हमें बल देने आती हैं. जब मुसीबतों का स्वागत करेंगे, तभी खुशियों को गले लगाने का अधिकार आपको प्राप्त होगा. याद रखें रात जितनी घनी और काली होगी, सुबह का सूरज उतने ही उजास के साथ आपके सामने होगा. इसी रोशनी आप पाएँगे जीवन की ऊर्जा और खुशियों का संदेश.
जीवन हमें हर पल अपने ढंग से कुछ न कुछ सिखाता रहता है. उसका अपना तरीका है. हमें उसके तरीके को समझना है, ताकि अपना ही नहीं अपनों का भी जीवन सँवार सकें. याद रखे किस्मत केवल एक बार ही इंसान का दरवाजा खटखटाती है, और बदकिस्मती बार-बार. अतएव अवसर को समझो और उसके अनुसार अपने जीवन को सँवारने का प्रयास करो.
डा. महेश परिमल
यह मानव कुछ अजीब ही प्रवृत्ति का है. हीरे को तो पसंद करता है, लेकिन हीरे के बनने की प्रक्रिया से दूर भागता है. शायद इसे ही कहते हैं, 'गुड़ से प्यार और गुलगुले से परहेज.' संतान की चाहत हर किसी को होती है. पर हर कोई प्रसव वेदना को स्वीकार करना नहीं चाहता. मनुष्य के साथ ऐसा ही है. जिसमें उसका स्वार्थ सधा होता है, उसके लिए वह सब कुछ करने को तैयार रहता है. इसीलिए जब कभी उसके जीवन में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है, तब वह विचलित हो जाता है. वह निराशा के अंधकार में घिर जाता है. उसे कोई रास्ता नहीं सूझता. ऐसे लोग सदैव विफल रहते हैं.
सीधी सी बात है, जब आप गुलाब को प्यार करते हैं, तो भला उसके काँटों से क्यों दूर रहना चाहेंगे? जीवन के हर पहलू को सहजता से स्वीकार करना चाहिए. जैसा आप चाहेंगे, क्या सभी कुछ वैसा ही होता जाएगा? हमें प्रकृति के साथ चलना चाहिए. ऋतुएँ बदलती हैं, उसके अनुसार मानव स्वयं को ढालता है. गर्मी में अपनी छत पर सोता है. ठंड में गरम कपड़े पहनकर बाहर निकलता है, और बारिश मेें बरसते पानी का मजा लेने के लिए वह घर से बाहर निकलता है. यदि इंसान बारिश में गर्मी की चाहत करे, तो क्या यह संभव है? शायद बिलकुल नहीं.
इंसान मुसीबतों से घबराता है. कुछ ऐसे भी लोग होते हैं,जो मुसीबतोें को अपने आप बुलाते हैं, क्योंकि उन्हें शाँक होता है मुसीबतों के बीच रहने का. कोई एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचना चाहता है, तो कोई दक्षिणी धु्रव पहुँचकर वहाँ के जीवन के बारे में जानना चाहता है. आखिर ऐसा क्यों? वह भी अपने घर पर बैठकर अपना काम करता. क्या पड़ी थी उसे ठिठुरती ठंड में जाने की? लेकिन ऐसा नहीं है. ये सभी मुसीबतों को अपना साथी मानते हैं. उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि सुख के दिन छोटे होते हैं. पल भर में ही बीत जाते हैं. लेकिन मुसीबतों के दिन भले ही छोटे हों, पर लंबे लगते हैं. क्यों न इसे भी खुशियों के साथ बिताया जाए? वास्तव में देखा जाए, तो मुसीबतें इंसान की परीक्षा लेने के लिए आती हैं. मुसीबत आई है इसका मतलब यही है कि आप किसी बहुत बड़ी सफलता के करीब हैं. मुसीबत के रूप में आपके सामने यह आखिरी अवरोध है. अवरोध पार करते ही आप सफलता की सीढ़ियों पर होंगे. पर इंसान इस मुसीबत रूपी सफलता को अपने जीवन का अवरोध मान लेता है और हार कर बैठ जाता है. यहीं उससे चूक हो जाती है.
इसीलिए हमें सिक्के के दोनों पहलुओं को ध्यान में रखना होगा. यदि आप कहें कि मुझे तो गर्मी का मौसम ही अच्छा लगता है और मैं हमेशा इसी मौसम में रहना चाहता हूँ, तो संभव है आपके लिए वही मौसम अप्राकृतिक रूप से तैयार भी कर दिया जाए. लेकिन आपकी यह जिद आपको प्रकृति से दूर कर देगी. आप समय से काफी पीछे चले जाएँगे. मुसीबतों से घबराना नहीं चाहिए. वह निश्चित ही हमें बल देने आती हैं. जब मुसीबतों का स्वागत करेंगे, तभी खुशियों को गले लगाने का अधिकार आपको प्राप्त होगा. याद रखें रात जितनी घनी और काली होगी, सुबह का सूरज उतने ही उजास के साथ आपके सामने होगा. इसी रोशनी आप पाएँगे जीवन की ऊर्जा और खुशियों का संदेश.
जीवन हमें हर पल अपने ढंग से कुछ न कुछ सिखाता रहता है. उसका अपना तरीका है. हमें उसके तरीके को समझना है, ताकि अपना ही नहीं अपनों का भी जीवन सँवार सकें. याद रखे किस्मत केवल एक बार ही इंसान का दरवाजा खटखटाती है, और बदकिस्मती बार-बार. अतएव अवसर को समझो और उसके अनुसार अपने जीवन को सँवारने का प्रयास करो.