सोमवार, 20 जून 2016

पिता के पत्र पुत्री के नाम - 29

रामायण और महाभारत... लेख के बारे में...वेदों के जमानें के बाद काव्यों का जमाना आया। इसका यह नाम इसलिए पड़ा कि इसी जमानें में दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत लिखे गए, जिनका हाल तुमने पढ़ा है। महाकाव्य पद्य की उस बड़ी पुस्तक को कहते हैं, जिसमें वीरों की कथा बयान की गई हो। काव्यों के जमाने में आर्य लोग उत्तरी हिंदुस्तान से विंध्‍य पहाड़ तक फैल गए थे। जैसा मैं तुमसे पहले कह चुका हूँ इस मुल्क को आर्यावर्त कहते थे। जिस सूबे को आज हम 'संयुक्त प्रदेश कहते हैं वह उस जमाने में मध्‍य प्रदेश कहलाता था, जिसका मतलब है बीच का मुल्क। बंगाल को बंग कहते थे। यहाँ एक बड़े मजे की बात लिखता हूँ जिसे जान कर तुम खुश होगी। अगर तुम हिंदुस्तान के नक्शे पर निगाह डालो और हिमालय और विंध्‍य पर्वत के बीच के हिस्से को देखो, जहाँ आर्यावर्त रहा होगा तो तुम्हें वह दूज के चाँद के आकार का मालूम होगा। इसीलिए आर्यावर्त को इंदु देश कहते थे। इंदु चाँद को कहते हैं। आर्यों को दूज के चाँद से बहुत प्रेम था। वे इस शक्ल की सभी चीजों को पवित्र समझते थे। उनके कई शहर इसी शक्ल के थे जैसे बनारस। मालूम नहीं तुमने खयाल किया है या नहीं, कि इलाहाबाद में गंगा भी दूज के चाँद की-सी हो गई है। यह तो तुम जानती ही हो कि रामायण में राम और सीता की कथा और लंका के राजा रावण के साथ उनकी लड़ाई का हाल बयान किया गया है। पहले इस कथा को वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा था। बाद को वही कथा बहुत-सी दूसरी भाषाओं में लिखी गई। इनमें तुलसीदास का हिंदी में लिखा हुआ रामचरितमानस सबसे मशहूर है। आगे की जानकारी ऑडियो के माध्यम से प्राप्त कीजिए...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Labels