सोमवार, 20 जून 2016
पिता के पत्र पुत्री के नाम - 28
हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे ?...
लेख के बारे में... आर्यों को हिंदुस्तान आए बहुत जमाना हो गया। सबके सब तो एक साथ आए नहीं होंगे, उनकी फौजों पर फौजें, जाति पर जाति और कुटुम्ब पर कुटुम्ब सैकड़ों बरस तक आते रहे होंगे। सोचो कि वे किस तरह लंबे काफिलों में सफर करते हुए, गृहस्थी की सब चीजें गाड़ियों और जानवरों पर लादे हुए आए होंगे। वे आजकल के यात्रियों की तरह नहीं आए। वे फिर लौट कर जाने के लिए नहीं आए थे। वे यहाँ रहने के लिए या लड़ने और मर जाने के लिए आए थे। उनमें से ज्यादातर तो उत्तर-पश्चिम की पहाड़ियों को पार करके आए; लेकिन शायद कुछ लोग समुद्र से ईरान की खाड़ी होते हुए आए और अपने छोटे-छोटे जहाजों में सिंधू नदी तक चले गए।
ये आर्य कैसे थे? हमें उनके बारे में उनकी लिखी हुई किताबों से बहुत-सी बातें मालूम होती हैं। उनमें से कुछ किताबें, जैसे वेद, शायद दुनिया की सबसे पुरानी किताबों में से हैं। ऐसा मालूम होता है कि शुरू में वे लिखी नहीं गई थीं। उन्हें लोग जबानी याद करके दूसरों को सुनाते थे। वे ऐसी सुंदर संस्कृत में लिखी हुई हैं कि उनके गाने में मजा आता है। जिस आदमी का गला अच्छा हो और वह संस्कृत भी जानता हो उसके मुँह से वेदों का पाठ सुनने में अब भी आनंद आता है। हिंदू वेदों को बहुत पवित्र समझते हैं। लेकिन 'वेद' शब्द का मतलब क्या? इसका मतलब है 'ज्ञान' और वेदों में वह सब ज्ञान जमा कर दिया गया है जो उस जमाने के ऋषियों और मुनियों ने हासिल किया था। उस जमाने में रेलगाड़ियाँ, तार और सिनेमा न थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस जमाने के आदमी मूर्ख थे। कुछ लोगों का तो यह खयाल है कि पुराने जमाने में लोग जितने अक्लमंद होते थे, उतने अब नहीं होते। लेकिन चाहे वे ज्यादा अक्लमंद रहे हों या न रहे हों उन्होंने बड़े मार्के की किताबें लिखीं जो आज भी बड़े आदर से देखी जाती हैं। इसी से मालूम होता है पुराने जमाने के लोग कितने बड़े थे। आगे की जानकारी ऑडियो के माध्यम से प्राप्त कीजिए...
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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