शुक्रवार, 3 जून 2016
पिता के पत्र पुत्री के नाम - 19
मिस्र और क्रीट... लेख के बारे में... पुराने जमाने में शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े मकानों और इमारतों से मालूम होता है। कुछ हाल उन पत्थर की तख्तियों की लिखावट से भी मालूम होता है जो वे छोड़ गए हैं। इसके अलावा कुछ बहुत पुरानी किताबें भी हैं जिनसे उस पुराने जमाने का बहुत कुछ हाल मालूम हो जाता है।
मिस्र में अब भी बड़े-बड़े मीनार और स्फिंग्स मौजूद हैं। लक्सर और दूसरी जगहों में बहुत बड़े मंदिरों के खंडहर नजर आते हैं। तुमने इन्हें देखा नहीं है लेकिन जिस वक्त हम स्वेज़ नहर से गुजर रहे थे, वे हमसे बहुत दूर न थे। लेकिन तुमने उनकी तस्वीरें देखी हैं। शायद तुम्हारे पास उनकी तस्वीरों के पोस्टकार्ड मौजूद हों। स्फिंग्स औरत के सिरवाली शेर की मूर्ति को कहते हैं। इसका डील-डौल बहुत बड़ा है। किसी को यह नहीं मालूम कि यह मूर्ति क्यों बनाई गई और उसका क्या मतलब है। उस औरत के चेहरे पर एक अजीब मुरझाई हुई मुस्कराहट है। और किसी की समझ में नहीं आता कि वह क्यों मुस्करा रही है। किसी आदमी के बारे में यह कहना कि वह स्फिंग्स की तरह है इसका यह मतलब है कि तुम उसे बिल्कुल नहीं समझते।
मीनार भी बहुत लंबे-चौड़े हैं। दरअसल, वे मिस्र के पुराने बादशाहों के मकबरे हैं जिन्हें फिरऊन कहते थे। तुम्हें याद है कि तुमने लंदन के अजायबघर में मिस्र की ममी देखी थी? ममी किसी आदमी या जानवर की लाश को कहते हैं जिसमें कुछ ऐसे तेल और मसाले लगा दिए गए हों कि वह सड़ न सके। फिरऊनों की लाशों की ममी बना दी जाती थीं और तब उन बड़े-बड़े मीनारों में रख दी जाती थीं। लाशों के पास सोने और चॉंदी के गहने और सजावट की चीजें और खाना रख दिया जाता था। क्योंकि लोग खयाल करते थे कि शायद मरने के बाद उन्हें इन चीजों की जरूरत हो। दो-तीन साल हुए कुछ लोगों ने इनमें से एक मीनार के अंदर एक फिरऊन की लाश पाई जिसका नाम तूतन खामिन था। उसके पास बहुत-सी खूबसूरत और कीमती चीजें रखी हुई मिलीं। आगे की जानकारी ऑडियो की मदद से प्राप्त कीजिए...
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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