बुधवार, 1 जून 2016
पिता के पत्र पुत्री के नाम - 17
शुरू का रहन-सहन
लेख के बारे में...
सरगनों और राजाओं की चर्चा हम काफी कर चुके। अब हम उस जमाने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंगे।
हमें उस पुराने जमाने के आदमियों का बहुत ज्यादा हाल तो मालूम नहीं, फिर भी पुराने पत्थर के युग और नए पत्थर के युग के आदमियों से कुछ ज्यादा ही मालूम है। आज भी बड़ी-बड़ी इमारतों के खंडहर मौजूद हैं जिन्हें बने हजारों साल हो गए। उन पुरानी इमारतों, मंदिरों और महलों को देख कर हम कुछ अन्दाजा कर सकते हैं कि वे पुराने आदमी कैसे थे और उन्होंने क्या-क्या काम किए। उन पुरानी इमारतों की संगतराशी और नक्काशी से खासकर बड़ी मदद मिलती है। इन पत्थर के कामों से हमें कभी-कभी इसका पता चल जाता है कि वे लोग कैसे कपड़े पहनते थे। और भी बहुत-सी बातें मालूम हो जाती हैं।
हम यह तो ठीक-ठीक नहीं कह सकते कि पहले-पहल आदमी कहाँ आबाद हुए और रहने-सहने के तरीके निकाले। बाज आदमियों का खयाल है कि जहाँ एटलांटिक सागर है वहाँ एटलांटिक नाम का एक बड़ा मुल्क था। कहते हैं कि इस मुल्क में रहनेवालों का रहन-सहन बहुत ऊँचे दरजे का था, लेकिन किसी वजह से सारा मुल्क एटलांटिक सागर में समा गया और अब उसका कोई हिस्सा बाकी नहीं है। लेकिन किस्से कहानियों को छोड़ कर हमारे पास इसका कोई सबूत नहीं है, इसलिए उसका जिक्र करने की जरूरत नहीं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि पुराने जमाने में अमरीका में ऊँचे दरजे की सभ्यता फैली हुई थी। तुम्हें मालूम है कि कोलंबस को अमरीका का पता लगानेवाला कहा जाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोलम्बस के जाने से पहले अमरीका था ही नहीं। इसका खाली इतना मतलब है कि यूरोपवालों को कोलंबस के पहले उसका पता न था। कोलंबस के जाने के बहुत पहले से वह मुल्क आबाद और सभ्य था। युकेटन में, जो उत्तरी अमरीका के मेक्सिको राज्य में है, और दक्षिनी अमरीका के पेरू राज्य में, पुरानी इमारतों के खंडहर हमें मिलते हैं। इससे इसका यकीन हो जाता है कि बहुत पुराने जमाने में भी पेरू और युकेटन के लोगों में सभ्यता फैली हुई थी। लेकिन उनका और ज्यादा हाल हमें अब तक नहीं मालूम हो सका। शायद कुछ दिनों के बाद हमें उनके बारे में कुछ और बातें मालूम हों। आगे की जानकारी ऑडियो की मदद से लीजिए...
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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