शुक्रवार, 10 जून 2016
एन. रघुरामन - जीने की कला - 10
दिव्यदृष्टि के श्रव्यसंसार में हम लेकर आए हैं, एन. रघुरामन के माध्यम से जीने की कला। अगर आप स्वयं को अपने शहर और देश का अच्छा नागरिक कहते हैं, तो खामोश मत रहिए। आपको अच्छे कामों के लिए आवाज उठानी होगी। तब आपको यह हक मिलेगा कि खुद को अच्छा इंसान होने का तमगा दे सकें क्योंकि अच्छे लोग चुप नहीं रहते हैं, जो करना उचित है, कर डालते हैं।
लेख का कुछ अंश… भगवान राम को जटायु के माध्यम से पता चला था कि रावण, सीता का अपहरण कर अपने साथ ले गया है। जटायु ने रावण से संघर्ष किया था और लहूलुहान हो गए थे। जटायु ने ही यह बताया था कि रावण किस दिशा में गया है। जटायु पवित्र आत्मा थे, यह मानकर चुप नहीं रह गए कि ये राम और रावण के बीच का मामला है। उन्होंने भी अपनी तरफ से इस संकट से उबरने का प्रयास किया। भले ही उन्हें सफलता नहीं मिली। दूसरी तरफ महाभारत का वह प्रसंग है, जिसमें दुर्योधन और दुशासन अकेले ही द्रौपदी के अपमान के लिए जिम्मेदार नहीं थे। इसके लिए भीष्म् पितामह, आचार्य द्रोणाचाय्र, महाराज धृतराष्ट्र जैसे अच्छे लोग भी जिम्म्दार थे, जो वहाँ मौजूद थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा और न ही उन्हें रोका। अत: उचित और अनुचित का निर्णय अपने विवेक और बुद्धि से लेना चाहिए और फिर उस कार्य को पूरा करने का प्रयास करने में विलंब नहीं करना चाहिए। जीवन में सफलता का यह मंत्र ऑडियो की मदद से जानिए..
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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