रविवार, 5 जून 2016

घर की खिड़की पर आती नहीं चिड़िया - डॉ. महेश परिमल

लेख के बारे में... चिड़िया का चहचहाना कितना भला लगता है। उसकी चहचहाहट में भी एक लय है। बचपन मानो चिड़िया की चहचहाहट की इस लय पर थिरक उठता है। बचपन में चिड़िया पर बहुत-सी कहानियाँ पढ़ते थे। माँ की कहानियों में भी चिड़िया समाई होती थी। माँ से ही जाना कि चिड़िया का एक के बाद एक पैर उठाकर चलना ही फुदकना कहलाता है। चिड़िया से आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। वह हमारी दोस्त है। हमारे साथ सदा दोस्ती निभाती है। शायद ही कोई ऐसा हो,जिसे चिड़िया का साथ, उसका चहकना, उसका फुदकना अच्छा न लगता हो। अपनी चोंच मे दाना लेकर जब वह अपने नन्हे बच्चों की चोंच में डालती है, तो यह दृश्य मन को बड़ा मोहक लगता है। चिड़िया के इस स्वभाव में उसका ममत्व झलकता है। लेकिन आज हम इस प्यारी चिड़िया को अपने से दूर कर रहे हैं। रेत-सीमेंट के ऊँचे-ऊँचे भवन बनाकर हमने पेड़ों को अलविदा कह दिया है। अब अपना घोंसला चिड़िया कहाँ बनाएगी और अपने बच्चों को कहाँ रखेगी? उसके लिए हमने कोई प्रबंध तो किया नहीं, बस अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगे रहे। क्या ऐसे में नाराज चिड़िया हमारे पास वापस आएगी? क्या हम उसकी नाराजगी दूर कर पाएँगे? कैसे और कब? इसके बारे में जानिए इस लेख के माध्यम से और ऑडियो की मदद से...

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