बुधवार, 4 मई 2016

कविताएँँ - मनोज चौहान

कविता का अंश... क्यों टूटते हैं रिश्ते पतझड. के पतों के समान क्यों नहीं समझ पाता आज इन्सान को इन्सान l पैदा हुआ है इन्सान प्यार बांटने के लिए फिर ये नफरत फैलाना कहां से सीख गया इन्सान l हर कोई चूर है यहां अपने ही अभिमान में कोई मुझे बताए आकर कहां खो गया है इन्सान l इन्सान को दिल दिया ताकि समझ सके वो दर्द दुसरे का दिमाग दिया इन्सान को ताकि स्वर्ग बना दे इसी धरा को l जो उठे इन्सान तो देवता बन जाए और गिरे तो दानव को भी पीछे छोड. जाए l भगवान ने रचा प्रकृति को बनाए चांद तारे सुरज और आसमान l फिर बनाई उसने अपनी सर्वोतम रचना दी उसने सज्ञां उसको इन्सान पछता रहा होगा भगवान भी देखकर आखिर क्यों पैदा कर दिया उसने इन्सान । ऐसी ही अन्य मर्मस्‍पर्शी कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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