हमारे आसपास घटने वाली कई ऐसी घटनाएँँ होती है, जो हमें दुख में भी सुख का अनुभव कराती हैं। हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैं। कुछ कड़वे-मीठेे अनुभव जरूरी होते हें, जीवन जीने के लिए। ये अनुभव ही हमारे भीतर साहस, संवेदना और दृढ़ आत्मविश्वास भरते हैं। जीवन दर्शन के अंतर्गत लघुकथाओं के माध्यम से इन्हीं अनुभवों को बताया गया है। बड़े-बड़े व्यक्ति ऐसे ही जन्म के साथ ही बड़े नहीं बन गए। उन्हें भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जीवन संघर्ष करना पड़ा तब कहींं जाकर वे सफलता की ओर अग्रसर हो पाए और एक सफल जीवन जी पाए। कुछ ऐसे ही दृष्टांतों को ऑडियो के माध्यम से सुनिए और इससे जुड़े सुविचारों को जीवन में अपनाने का प्रयास कीजिए...
मंगलवार, 10 मई 2016
लघुकथाएँँ - जीवन दर्शन - 1
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
लघुकथा
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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