शुक्रवार, 6 मई 2016
एन. रघुरामन- जीने की कला - 1
लेख का अंश...रिटायरमेंट के बाद के जीवन से घबरानेे की जरूरत नहीं है। जीवन की नई पारी आसानी से शुरू की जा सकती है और इसके लिए अपने वर्तमान जाॅब का अनुभव पूरा सहयोग देगा। व्यक्ति यदि यह दृढ़ निश्चय कर ले कि उसे जीवन संध्या के समय क्या करना है, तो उसे वह करने से कोई नहीं रोक सकता। वह अपनी तय की गई राह पर आगे बढ़ सकता है और संतोषपूर्ण अहसास के साथ्ाा जीवन जी सकता है। जिंदगी का हर पड़ाव, हर मोड़ हमें कुछ नया करने की सीख देता है। इस नया सिखने में कुछ नुकसान भी होता है और कुछ नया अनुभव भी। इंसान को हर नए अनुभव से गुजरकर जीवन की राहों में सफलता के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए। कुुछ इसीतरह की बात कही गई है, जीने की कला के अंतर्गत एन. रघुराामन के माध्यम से... इसका आनंद आॅडियो की मदद से लीजिए...
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