गुरुवार, 12 मई 2016
भारतीय फिल्मों के हास्य अभिनेता...
लेख के बारे में...
भारतीय फिल्मों में हास्य कहानी व सिचुएशन के आधार पर निर्धारित होता था। हास्य एक नैसर्गिक कला है जिसका मन से नजदीक का संबंंध होता है। मन की प्रसन्नता हालात पर निर्भर करती है। हास्य एक कठिन विधा होती है। किसी को हँँसाना मामूली बात नहीं है। डायलॉग की अदायगी, शारीरिक हावभाव, चेहरे की मुद्राएँँ सभी कुछ इसमें शामिल होता है। हास्य बोला और अबोला दोनाें प्रकार का होता हे। मूक फिल्मों में भी हास्य हाता था पर उसे केवल आँँखों से, चेहरे के हावभाव से और शारीरिक हावभाव से व्यक्त किया जाता था। महर्षि नारद को पहला हास्य कलाकार माना जाता था। अंग्रेजी के हास्य कलाकार चार्ली
चेंपलिन से पूछा गया कि उन्हें सबसे अधिक कौन सी ऋतु अच्छी लगती है, तो उनका जवाब था- बरसात की ऋतु क्योंकि इस ऋतु में आँँसू छिप जाते हैं, दिखाई नहीं देते। कोई भी हास्य कलाकार अंदर से बहुत दुखी होने का बाद भी अगर हँँसाने में सफल होता है, तो यही उसकी सच्ची अभिनय कला है। हमारे भारतीय फिल्मों के ऐसे ही हास्य कलाकारों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए, मणि खेड़ेकर भट के लेख से तैयार किए गए इस ऑडियो के माध्यम से...
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " हिंदी भाषी होने पर अभिमान कीजिये " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंहास्य कलाकार हमें हँसा कर अपने दुख को भुलाने में मददगार होते हैं।
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