शनिवार, 7 मई 2016
मातृत्व दिवस पर विशेष - मेरे अहसास - अन्यूता-अंकिता
माँँ के बारे मे... हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण इंसान हमारी माँ होती है जो एक वास्तविक प्रकृति की तरह हमेशा हमारी परवरिश करती है। वो हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढ़ेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वो हमें अपनी कोख में रखती है जबकि उसके वास्तविक जीवन में वो हमेशा हमारे बारे मे सोचकर खुश हो जाती है। बिना किसी शिकायत के वो हमें जन्म देती है। पूरे जीवन भर हम उसके सच्चे प्यार और परवरिश की तुलना किसी और से नहीं कर सकते इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम हमेशा उसको प्यार और सम्मान देंं। हर वो इंसान जिसके पास माँ है वो दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान है और उसे माँँ के रूप में भगवान से ढ़ेर सारा आशीर्वाद मिला हुआ है।
एक माँ बेहद सामान्य महिला होती है जो अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वो हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक स्वार्थहीन आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु मन है। आत्मशक्ति से भरी वो एक ऐसी महिला है जो हमें जीवन की कठिन से कठिन चुनौती का सामना करना सिखाती है। जीवन की सभी कठिनाईयों से उबारती है. वो हमें हमेशा हमारे जीवन में अच्छीी चीजों को पाने के लिये प्रेरित करती है। वो सभी के जीवन की पहली अध्यापक होती है जिसकी शिक्षा पूरे जीवन भर कीमती और लाभप्रद साबित होती है। ऐसे ही कुछ अहसास सुनिए ऑडियो की मदद से...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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