बुधवार, 11 मई 2016
सआदत हसन मंटो - एक परिचय - नंदकिशोर विक्रम
मंटो की जन्मतिथि के अवसर प्रस्तुत है नंदकिशोर विक्रम द्वारा मंटो पर लिखेे गए आलेख का ऑडियो, जो उनके बारे में कई अनकही एवं अनसुनी जानकारियाँँ देता है।
मंटो ने स्वयं लिखा था - 'मुमकिन है सआदत हसन मर जाए लेकिन मंटो जिंदा रहेगा।' मंटो अब भी जिंदा है। मंटो हमारा सबसे बड़ा कहानीकार था। पाक और भारत का सबसे बड़ा कहानीकार। जिसकी कृतियाँँ तुलना में पेश की जा सकती है। मंटो के पास कहानी की कला पूर्णता, केन्द्रिय विचार, उपयुक्त जीवन दृष्टि पाई जाती है। यह नहीं कि मंटो ने मोपासाँँ के अनुकरण की कोशिश की थी। मंटो स्वयं मोपासॉं था। मंटो ने समाज की गंदगी और घिनौनेपन को बहुत तीव्रता से अनुभव किया। मंटो ने जिंदगी का जहर चखा व इस तरह चखा कि हलक से उतरकर वह आत्मा में उतर गया। लेकिन फिर भी उसे मानव पर विश्वास रहा और मोपासाँँ की तरह वह यह विश्वास दिलाता रहा कि यदयपि इन्सान में गंदगी है, कुरूपता है लेकिन इंसानियत फिर भी खूबसूरत है। नंदकिशोर विक्रम के आलेख से उनके बारे में और भी जानकारी प्राप्त कीजिए इस ऑडियो के माध्यम से...
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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