शनिवार, 30 अप्रैल 2016
अकबर-बीरबल की कहानी - 5
बीरबल की खिचड़ी... कहानी का कुछ अंश...
एक बार
बादशाह अकबर ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति सर्दी के इस ठिठुरते हुए मौसम में भी रात के समय नर्मदा के पानी में घुटनों तक डूब कर पूरी रात खड़ा रहेगा, उसे भरपूर ईनाम दिया जाएगा। एक धाोबी जो कि अपनी गरीबी से तंग आ गया था, उसने अपनी गरीबी दूर करने के लिए ठंडे पानी में खड़े रहने की हिम्मत की और पूरी रात खड़ा रहा। सुबह वह बादशाह के दरबार में ईनाम लेने के लिए गया। बादशाह ने उससे पूरी रात खड़े होने का सबूत देने के लिए कहा। धाेबी बोला - जहांपनाह, मैं सारी रात नदी के किनारे महल के एक छोर पर जल रहे दीपक की लौ को देखता रहा। इसतरह सारी रात कट गई। बादशाह नाराज हो गए और बोले - इसका अर्थ ये हुआ कि तुम्हें उस महल के छोर पर जल रहे दीपक से गरमी मिलती रही और इसी कारण तुम्हें रात गुजारने में परेशानी नहीं हुई। उन्होंने क्रोध में आकर उस धाोबी को जेल में बंद करवा दिया। जब अकबर ने यह किस्सा सुना और भरे दरबार में धोबी का अपमान देखा तो वह दुखी हो गए। उन्होंने उस धोबी की सहायता करनी चाही। अकबर ने धोबी की सहायता करने का क्या उपाय किया, यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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