शनिवार, 9 अप्रैल 2016
परमेश्वर फुँकवाल की कुछ कविताएँ...
खोज -
मैं सुबह उठता हूँ,
तो ढूँढता हूँ
रोशनी ।
बरामदे के बीचों-बीच पड़ा अख़बार,
मेज पर रखा चश्मा,
और फिर एक कप चाय।
सच कहा है किसी ने,
धीरे धीरे चीजें अपनी जगह बना लेती हैं।
जैसे अपना खोया चेहरा
मिलता है मुझे आईने के पार।
और मेरे अंदर का गायक
बाथरूम की दीवारों के बीच।
चाँद में अकसर मिल जाता है,
कैशोर्य का प्रेम।
और पुरानी डायरी में,
फूल की एक पाँख।
पर जब खोजता हूँ
रिश्तों में विश्वास और आँखों में प्रेम,
तो खोजता ही रह जाता हूँ।
झुँझलाहट में याद नहीं रहता
अक्सर
कि क्या मैंने कभी इन्हें
रखा भी था वहाँ पर!!!
परमेश्वर जी की अन्य कविताओं का आनंद सुनकर लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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