शनिवार, 30 अप्रैल 2016
अकबर-बीरबल की कहानी - 4
स्वर्ग की यात्रा... कहानी का अंश...
जब से बीरबल बादशाह अकबर के दरबार में शामिल हुआ था, तब से अकबर के दरबार के कुछ मंत्री खुश नहीं थे। अकबर ने बीरबल का पक्ष अधिक लेना शुरू कर दिया था। इस बात ने मंत्रियों को बीरबल से ईष्र्या करने वाला बना दिया। उन्होंने शाही नाई की मदद लेने का निश्चय किया।
नाई एक गरीब व्यक्ति था। वह मंत्रियों की इस बुरी योजना में शामिल नहीं होना चाहता था किन्तु उनके द्वारा दिए गए सोने के सिक्कों के कारण वह उनका विरोध नहीं कर सका। इसलिए वह मदद के लिए राजी हो गया। एक दिन जब वह अकबर के बाल काट रहा था तो उसने कहा, ”जहांपनाह! कल रात मैंने एक सपना देखा। आपके पिता मेरे सपने में आये और बोले की वह स्वर्ग में आराम से हैं। उन्होंने आपको चिन्ता न करने को कहा।“ अकबर ने जब यह सुना तो वे उदास हो गये। क्योंकि जब उनके पिता मरे थे, तब वे बहुत छोटे थे। वे अपने पिता को बहुत ज्यादा याद करते थे।
वह बोले, ”मेरे पिता ने और क्या कहा? मुझे सब कुछ बताओ।“ नाई ने कहा, ”जहांपनाह! उन्होंने कहा कि वह ठीक हैं, किंतु थोड़ा बहुत ऊब गए हैं। वह बोले, यदि आप बीरबल को वहां भेज देंगे तो वह उन्हें बहुत खुश रखेगा। वह स्वर्ग से बीरबल को देखते हैं और उसकी बुद्धि और हास्य की प्रशंसा करते हैं।“
अकबर ने बीरबल से कहा, ”प्रिय बीरबल! मैं तुम से बहुत खुश हूं। किंतु अपने पिता के पास तुम्हें भेजते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा है, जो स्वर्ग में खुश नहीं हैं, वे तुम्हें अपने पास बुलाना चाहते हैं। तुम्हें स्वर्ग में जाना होगा और उनका मनोंरजन करना होगा।“
बीरबल ने यह सुना, तो वह चौंक गया। बाद में उसे पता चला कि यह मंत्रियों और नाई द्वारा बनाई गई योजना थी। उसने अपने घर के बाहर एक कब्र खुदवाई और कब्र के साथ एक सुरंग खोदी, जो उसके शयनकक्ष तक जाती थी। फिर वह अकबर के पास गया और बोला, ”मैं स्वर्ग जाने के लिए तैयार हूं। किन्तु हमारे परिवार की परम्परा है कि हमें अपने घर के बाहर दफन किया जाता है। मैंने पहले से ही कब्र की व्यवस्था कर ली है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे वहां जिंदा दफन कर दिया जाए।“
अकबर ने बीरबल की इच्छा पूरी की। बीरबल को जिंदा दफन कर दिया गया। बीरबल सुरंग के रास्ते से अपने घर आ गया। तीन सप्ताह बाद वह अकबर के दरबार में गया। हर कोई बीरबल को देख कर हैरान था। अकबर ने कहा, ”तुम स्वर्ग से वापस कब आए? मेरे पिताजी कैसे हैं? और तुम इतने भद्दे क्यों दिख रहे हो?“
बीरबल बोला, ”महाराज आपके पिता जी ठीक हैं। उन्होनें आपको अपनी शुभकामनाएं भेजी हैं। किंतु जहांपनाह, स्वर्ग में कोई नाई नहीं है। इस वजह से मैं बहुत भद्दा दिख रहा हूं। यदि आपकी कृपा हो तो शाही नाई को आपके पिता जी के पास भेजा जाए जिससे उन्हें ख़ुशी मिलेगी।“
सम्राट ने तुरंत आदेश दिया कि नाई को जिंदा दफन करके स्वर्ग भेजा जाए। नाई अकबर के पैरों में गिर गया और क्षमा मांगने लगा। इसके बाद उसने सब कसूर कबूल कर लिया।
अकबर ने यह योजना बनाने वाले सभी मंत्रियों को निकाल दिया और नाई को दस कोड़े मारने का दंड दिया। इस कहानी का आनंद ऑडियो की मदद से सुनकर लीजिए...
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दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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