गुरुवार, 28 अप्रैल 2016
बाल कहानी - पंख अभी छोटे हैं - उपासना बेहार
कहानी का कुछ अंश...
एक शहर के बीचों बीच बड़ा सा पार्क था, पार्क में बहुत सारे बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे। उन्ही पेड़ों में से एक पेड़ में चिडि़या अपने परिवार के साथ रहती थी। उसके तीन छोटे बच्चे थे। चिडि़या रोज बच्चों को घोसले में छोड़ कर सुबह से खाना लाने चली जाती और शाम को घोसले में वापस आती थी। तब चिड़िया के बच्चों में से एक बच्चा अपनी मां से हमेशा पूछता कि “मां पेड़ के बाहर की दुनिया कैसी होती है, आज आपने क्या क्या देखा” मां कहती “बेटा दुनिया बहुत ही खूबसूरत है” और वो बच्चों को बताती कि आज कहाँ कहाँ गई थी तो वह बड़े ध्यान से बातें सुनता और कहता “मां मैं कब इस खुबसूरत दुनिया को देख पाऊॅगा”. “बेटे तुम अभी छोटे हो, तुम्हारे पंख ठीक से बने नही हैं और तुमने अभी सही तरीके से उड़ना भी नहीं सीखा है, कुछ महिने ओर रुक जाओ फिर तो जिंदगी भर उड़ते रहना है। अगर अभी बाहर गये तो कोई भी जानवर तुम्हें मार देगा। बच्चा उस समय तो चुप हो जाता लेकिन उसके मन में उथल पुथल मची रहती।
एक दिन जब मां भोजन लेने के लिए गयी तब बच्चे ने सोचा “अभी मैं छोटा हूँ तो पूरी दुनिया नही घूम सकता पर कम से कम इस पार्क की दुनिया तो देख ही सकता हूँ और मां के आने से पहले मैं वापस आ जाऊॅगां। जिससे माँ को भी पता नहीं चलेगा, वह अपने अन्य भाई बहनों को बताये बिना ही धीरे से घोसले के बाहर आ जाता है और पेड़ के तने से जमीन पर उतरता चला जाता है। जब वह पेड़ के निचे पहुँचता है तो देखता है कि जमीन घरे भरे घास से ढंका हुआ है। आसपास तरह तरह के रंग बिरंगे फूल खिलें हैं, यह सब देख कर वह आश्चर्यचकित हो जाता है। इससे पहले उसने इतने सुंदर फूल कभी नही देखे थे। वो खुशी के मारे जोर जोर से फुदकने लगता है। तभी फूल पर एक सतरंगी तितली आकर बैठती है। उसने आज तक ऐसी अनोखी तितली नही देखी थी, वह सोचता है कि क्यों ना इस अनोखी तितली से दोस्ती की जाये वह तितली के तरफ बढ़ता है तभी सतरंगी तितली उड़ जाती है, चिडि़या का बच्चा कुछ सोचे समझे बिना ही उसके पीछे भागने लगता है। तितली का पीछा करने के चक्कर में वह अपने पेड़ से दूर निकल आता है। आगे क्या होता है, यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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