शुक्रवार, 5 अगस्त 2016
कविताएँ - 1 - देवमणि पांडेय
देवमणि पांडेय साहित्य जगत की जानी-मानी हस्ती हैं। फ़िल्म ‘पिंजर’, ‘हासिल’ और ‘कहाँ हो तुम’ के अलावा कुछ सीरियलों में गीत रिकार्ड भी किए हैं। फ़िल्म 'पिंजर' के गीत चरखा चलाती माँ को वर्ष 2003 के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत पुरस्कार प्राप्त हुआ था। यहाँ उनकी रचनाओँ को अपने ब्लॉग में स्थान देते हुए हम गर्व महसूस कर रहे हैं।
कविता का अंश... लड़कियाँ अब और इंतज़ार नहीं करेंगी
वे घर से निकल जाएँगी
बेख़ौफ़ सड़कों पर दौड़ेंगी
उछलेंगी, कूदेंगी, खेलेंगी, उड़ेंगी
और मैदानों में गूँजेंगी उनकी आवाजें
उनकी खिलखिलाहटें
चूल्हा फूँकते, बर्तन माँजते और रोते-रोते
थक चुकी हैं लड़कियाँ
अब वे नहीं सहेंगी मार
नहीं सुनेंगी किसी की झिड़की
और फटकार ।
ऐसी ज्वलंत भावनाओं से सजी इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए और ऐसी ही एक और भावपूर्ण कविता सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
सम्पर्कः देवमणि पांडेय Email : devmanipandey@gmail.com
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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