मंगलवार, 30 अगस्त 2016
वन्य जगत – हिम तेंदुआ – अभिनन्दन
लेख का अंश…
हिम तेंदुआ मध्य एशिया के पर्वतीया भागों में पाया जानेवाला शानदार जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम पैन्थरा अंसिया है। अंग्रेजी में इसे स्नोलेपर्ड और आउन्स कहते हैं। यह हिमालय पर्वत के बर्फीले भागों में और टोडोडेन्ड्रान के वनों में बर्फ से ढँके भागों में पाया जाता है। कभी-कभी इसे 6000 मीटर की ऊँचाई पर भी देखा जा सकता है। इतनी ऊँचाई तक मानव नहीं जा सकता। हिम तेंदुआ में सर्दी सहन करने की बहुत अधिक क्षमता होती है। यह शून्य से चालीस डिग्री सेल्सियस तक नीचे के तापमान वाले भागों में भी सरलता से रह सकता है। भारत में यह हिमालय पर्वत क अधिकांश क्षेत्रों कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमालच प्रदेश के उत्तरी भागों, कुमायूँ, टिहरी और गढ़वाल के ऊँचाई वाले भागों में मिलता है। हिम तेंदुआ एल्पाइन के जंगलों में छोटी-छोटी झाडियों वाले भागों में, पथरीले और चट्टानी भागों में ऐसे स्थानों पर रहता है, जहाँ प्राय: पेड़ नहीं होते। यही कारण है कि इसे पेड़ पर चढ़ना नहीं आता और यह अपना संपूर्ण जीवन जमीन पर ही बिता देता है। हिम तेंदुआ रात्रिचर है। दिन में प्राय: ये अपनी मांदों में, पत्थरों के नीचे, चट्टानों में अथवा ऐसी जगह पर आराम करते हैं, जहाँ वे स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं। रात होते ही ये सक्रिय हो जाते हैं। कभी-कभी इन्हें दिन में घूमते हुए देखा जा सकता है। हिम तेंदुआ बाघ और सामान्य तेंदुए के समान ही अपना सीमाक्षेत्र बनाता है। यह अपने सीमा क्षेत्र में पत्थरो, चट्टानों, बर्फीले शिलाखंडों आदि को अपने नाखूनों से खरोंचकर निशान बनाता है। हिम तेंदुआ ऐसे स्थानों पर रहता है, जहाँ पर भोजन बहुत कम उपलब्ध रहता है। अत: इसके सीमाक्षेत्र बहुत फैले हुए होते हैं। इसके सीमाक्षेत्र इतने बड़े होते हैं कि एक ही सीमाक्षेत्र वाले दो नर हिम तेंदुए प्राय: एक-दूसरे से जीवन भर नहीं मिल पाते हैं। हिम तेंदुए के बारे में अन्य जानकारी ऑडियो की मदद से प्राप्त कीजिए…
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आलेख,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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