शुक्रवार, 12 अगस्त 2016
गुब्बारे की सैर….
लेख का अंश… धागे से बँधे गैस भरे गुब्बारे एक बार हाथ से छूटते ही आसमान की सैर करने लगते हैं। आसमान में उड़ते ये रंग-बिरंगे गुब्बारे कितने खूबसूरत लगते हैं। सोचो, अगर इन गुब्बारों में बैठ कर आसमान की सैर करने का मौका मिले, तो कितना मजा आएगा। ये कहानी ऐसे ही गुब्बारों के बारे में हैं, जिनमें बैठकर आसमान में उड़ने का मजा लिया जा सकता है। ये आकार में विशालकाय होते हैं। इनके नीचे एक टोकरी बनी होती है, जिसमें लोग बैठते हैं। इसमें कुछ ऐसे यंत्र होते हैं, जिनकी सहायता से इन्हें मनचाही दिशा में मोड़ा जा सकता है या जब जी चाहे तब जमीन में उतारा जा सकता है। ये गुब्बारे वास्तव में है क्या? उनके द्वारा उड़ान कैसे भरी जाती है? इन पर विज्ञान का कौन-सा नियम लागू होता है? जैसे प्रश्न अनायास ही हमारे दिमाग में उभरने लगते हैं। तीन सौ वर्ष पहले फ्रांस के मोतिगाल्फियो नामक दो भाइयों ने इनकी खोज की थी। उन्होंने सबसे पहले गुब्बारों में बैठकर आसमान में उड़ने का कारनामा कर दिखाया। गुब्बारे को आसमान में उड़ाने के लिए इन्होंने गर्म हवा का प्रयोग किया। इसके बाद तो जैसे यह सिलसिला ही चल निकला। बाद में गर्म हवा के स्थान पर हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाने लगा। यह गैस हवा से हल्की होती है और आसानी से आसमान में ऊपर उठ जाती है। परंतु यह गैस अत्यंत ज्वलनशील होने के कारण दुर्धटनाएँ होने लगी। तब इस गैस क बदले में हीलियम गैस का उपयोग किया जाने लगा। धीरे-धीरे विकास के क्रम में विमानों का आविष्कार हुआ और लोग गुब्बारे को भूलने लगे। इसके प्रति लोगों की रूचि कम होने लगी। क्योंकि इन गुब्बारों की उड़ान वायु पर निर्भर करती थी। साथ ही ताप नियंत्रण का भी कोई समुचित प्रबंध नहीं था। एक समय ऐसा भी आया कि जब लोग इन गुब्बारों को पूरी तरह से भूल गए। बाद में एक बार फिर लोगों का ध्यान इसकी ओर गया। एक मजेदार साहसिक खेल के रूप में यह पुन: अपनी एक अलग पहचान बनाने लगा। इसकी तकनीकों में भी कुछ सुधार किए गए। जिसके कारण इसमें उड़ान भरना काफी आसान हो गया। इसमें मनोरंजन के साथ-साथ सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया। दुनिया के कई हिस्सों में इनसे संबंधित क्लबों की स्थापना की गई। जहाँ लोग सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे गुब्बारे में बैठकर आसमान की सैर करने का मजा लेते हैं। आसमान में उड़ने वाले ये गुब्बारे विशेष प्रकार के होते हैं। वे मजबूत नायलॉन के कपड़े से बनाए जाते हैं। नायलॉन का यह कपड़ा वजन में काफी हल्का और मजबूत होता है। अत: सुरक्षा की दृष्टि से भी इसका महत्व बढ़ जाता है। गैस गुब्बारे से जुड़ी हुई अन्य रोचक जानकारियाँ इस ऑडियो की मदद से प्राप्त कीजिए…
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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