मंगलवार, 30 अगस्त 2016
गुमनाम गायक एवं गायिका...
दिव्यदृष्टि के श्रव्यसंसार में आज मुलाकात करते हैं, गुमनाम गायक एवं गायिका से और उनके बारे में कुछ जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। पचास के दशक में गायक सुबीर सेन ने फिल्म आस का पंक्षी, कठपुतली, छोटी बहन, ओये तेरा क्या कहना, मासूम, अर्धांगनी, जैसी कुछ फिल्मों में मधुर गाने गाये ! संगीत प्रेमियों में उनकी आवाज़ को लेकर भ्रम रहा और उनके गाये गीतों को मुकेश और हेमंत कुमार का गाया हुआ समझते रहे ! गायिका रत्ना गुप्ता की आवाज को आप गीता दत्त और मीना कपूर की मिली जुली आवाज़ कहेंगे… लेकिन इस आवाज़ को वह पहचान नहीं मिल पायी और वह गुमनामी में कहीं खो गयी ! रत्ना गुप्ता जी ने हिंदी फिल्मों में कई गाने अलग-अलग अंदाज़ में बखूबी गाये थे ! इसके आलावा गायिका शारदा जी का जन्म दक्षिण भारत में हुआ और फिर वहाँ से ये मुम्बई गयीं और बाद में अपने परिवार के साथ तेहरान चली गयीं। वहीँ राज कपूर से उनकी मुलाकात हुई। तमिल भाषी होने के बावजूद उन्हें हिंदी गीतों में अधिक रूचि थी। वे हिंदी फिल्मों के बारे में अपनी चचेरी बहन से बहुत सुना करती थी। नूरजहाँ के गीत सुनने को वे चाय या पान की दूकान पर भी रुक जाया करतीं। हिंदी बोलना नहीं आता था परन्तु मुम्बई शिफ्ट होने के बाद हिंदी बोलना सीखा। उनकी माता जी को कर्णाटक संगीत का ज्ञान था परन्तु उन्होंने मुम्बई में ही संगीत की शिक्षा ली।
राज कपूर ने उन्हें तेहरान में एक पार्टी में गाते सुना तो उन्हें मुम्बई आने का निमन्त्रण दे डाला। मुम्बई [पहुँच कर उन्होंने आर के स्टूडियो में अपना ऑडिशन दिया, जिसमें उन्होंने बरसात फिल्म का गाना “मुझे किसी से प्यार हो गया” और “बिछुड़े हुए परदेसी” सुनाया। ऑडिशन में उन्हें सुनने वालों में राज जी के अलवा उनकी पत्नी कृष्णा जी और रणधीर और ऋषि कपूर भी थे। यहीं से शारदा जी के लिए फिल्मी दुनिया के दरवाज़े खुल गए।
राज जी ने उन्हें शंकर जयकिशन के पास भेजा जहाँ उन्हें पार्श्व गायन के लिए प्रशिक्षित किया जाने लगा। उनका पहला गाना फिल्म सूरज [1966] में “तितली उडी” था जिस के लिए उन्हें फिल्मफेयर का विशेष अवार्ड भी मिला क्योंकि रफ़ी साहब के नॉमिनेटेड गीत ‘बहारों फूल बरसाओ’ के बराबर वोट मिले थे। ऐसे ही अन्य गुमनाम गायक एवं गायिका के बारे में जानकारी ऑडियो के माध्यम से प्राप्त कीजिए...
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आलेख,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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गुमनाम गायक/गायिकाओं की जानकारी देता अच्छा लेख
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