गुरुवार, 11 अगस्त 2016
वन्य जीवन - ज़ेब्रा - अभिनन्दन
काली सफेद धारियों वाला गधा - ज़ेब्रा
लेख का अंश…
ज़ेब्रा अफ्रीका के एक बहुत बड़े क्षेत्र में पाया जाने वाला वन्य जीव है। इसके शरीर पर विभिन्न आकारों वाली काली-सफेद धारियाँ होती हैं। ज़ेब्रा की अनेक जातियाँ हैं। इनमें तीन जातियाँ प्रमुख हैं - सामान्य वर्सेल्स ज़ेब्रा, चैपमैन ज़ेब्रा और ग्रेन्ट ज़ेब्रा। परिवार समूह में रहने वाला नर ज़ेब्रा 80 वर्ग किलोमीटर से लेकर 250 वर्ग किलोमीटर तक का एक सीमा क्षेत्र बनाता है। इस क्षेत्र में अन्य समूहों के ज़ेब्रा भी एक क्षेत्र में कई-कई वर्ष साथ रहते हैं। कभी-कभी तो कुछ ज़ेब्रा अपने सीमा क्षेत्र के भीतर परिवार समूह के सदस्यों के साथ अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत कर देते हैं किन्तु यह बात नर ज़ेब्रा पर लागू नहीं होती। ज़ेब्रा परिवार समूह में आपस में बड़ा लगाव होता है। यदि परिवार समूह का कोई ज़ेब्रा खो जाता है, तो वे उस खोए हुए ज़ेब्रा को कई-कई दिनों तक तलाश करते हैं। वे अपने परिवार समूह के सदस्यों को उनकी धारियों, पेटर्न और उनकी आवाज तथा गंध के माध्यम से पहचानते हैं। पहाड़ी ज़ेब्रा मैदानी ज़ेब्रा से अधिक जंगली होता है। यह प्राय: छह तक के परिवार समूह में रहता है। किंतु भोजन और पानी की अधिकता होने पर इसके समूह में सदस्यों की संख्या अधिक हो जाती है। पहाड़ी ज़ेब्रा पहाड़ी रास्तों पर तेजी से चल सकते हैं। पथरीली और सीधी खड़ी चढ़ाई वे आसानी से चढ़ जाते हैं। जबकि मैदानी ज़ेब्रा खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़ पाते हैं। मैदानी और पहाड़ी ज़ेब्रा दोनों ही भोजन और पानी की कमी होने पर चारागाहों की खोज में प्रवास करते हैं। नदियों के सूख जाने पर नदियों की नीची और नम जमीन खोदकर पानी निकालते हैं। इस प्रकार ये अपने साथ ही अन्य जीवों के लिए भी उपयोगी होते हैं। ज़ेब्रा सिंह का प्रिय भोजन है। लकड़बग्धे भी इसका शिकार करते हैं। कृषि योग्य भूमि के विस्तर एवं जंगलों की कटाई के कारण तथा इसके स्वादिष्ट माँस को खाने के लालच के कारण ज़ेब्रों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। इसकी कई जातियाँ विलुप्ति की कगार पर है। ज़ेब्रा से जुड़ी हुई ऐसी ही अन्य रोचक जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
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दिव्य दृष्टि,
लेख
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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