मंगलवार, 9 अगस्त 2016
बाल कविता - तोता - ओम भारती
तोता एक ऐसा प्राणी है, जो बच्चो को बहुत पसंद है। वे उसके आगे-पीछे घूमकर मिट्ठू-मिट्ठू की रट लगाया करते हैं और वह भी उनका अनुकरण करते हुए मिट्ठू बोलना तो सीख ही जाता है। हरी और लाल मिर्च का प्रेमी तोता हर किसी को पल भर में ही अपना बना लेता है। तोते की चुलबुली शरारतों से भरी यह कविता आपको जरूरी पसंद आएगी।
कविता का अंश…
बातें किया करेगा मुझसे, यही सोचकर लाया तोता। कोई बात नहीं कर पाता, फिर भी सबको भाया तोता।
टीवी देख-देखकर वह भी, हँसता कभी तो कभी है रोता। अगर सीरियल चलते रहते, वह भी रोज देर से सोता। जब क्रिकेट का मैच देखता, चौको-छक्कों पर खुश होता। लेकिन समाचार आते जब, तोता भी तो आपा खोता। सास-बहू के संवादों पर, खाता खूब हवा में गोता। गंगाराम कहो तो कहता, यह तो नाम पुराना होता।
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
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बाल कविता

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