मंगलवार, 9 अगस्त 2016
विज्ञान कविता - सेफ्टी ग्लास - सुधा अनुपम
आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में हम सभी वाहन के सहारे सड़कों पर दौड़ने के आदी हो गए हैं। सड़कों पर दौड़ते ये वाहन ट्रक, बस, कार, बाइक्स, स्कूटर, साइकिल आदि कितने ही दो पहिया और चार पहिया वाहन होते हैं, जो हमारे सफर को आसान बनाते हैं। कार या अन्य वाहनों में लगाए गए काँच काफी मजबूत होते हैं, हल्की सी ठोकर लगने से ये एकदम से टूटकर बिखरते नहीं हैं। ऐसा क्या होता है उनमें ? यह जानने के लिए सुनिए यह विज्ञान से जुड़ी कविता।
कविता का अंश…
एक रोज़ हम बैठे थे बस में, डूबे थे गानों के रस में। इतने में दंगाई आए, संग में लाठी पत्थर लाए। गुस्सा उनका उबल रहा था, हवा में मुक्का उछल रहा था। माँग में उनकी थी ललकार, मचा रहे थे चीख पुकार। सबसे आगे बैठ थे हम, डर के मारे निकल रहा था दम। इतने में एक पत्थर आया, बस के शीशे से जा टकराया। हमने देखा ओर न छोर, भागे बस की पिछली ओर। डरे, काँच घायल कर देगा, बदन से नाहक खून बहेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ कुछ, टूट गया बिखरा न काँच। किसी ने हमको बतलाया तब, कहते इसको सेफ्टी ग्लास। बात पुरानी कर लें याद, बेनडिक्टस ने किया इजाद। सेफ्टी ग्लास की खातिर दे दें, हम सब मिलकर उनको दाद।
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
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