सोमवार, 29 अगस्त 2016
प्रेरक प्रसंग – देश का आत्म सम्मान
प्रेरक प्रसंग का अंश….
पंडित जवाहरलाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने आजादी की लड़ाई में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे कई बार जेल गए। उन्हें देश की कई जेलों में रखा गया। उनके जीवन का अधिकांश समय जेल में ही बीता। इसलिए वे घर-परिवार से दूर हो गए और अपने परिवार पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते थे। एक बार उनकी पत्नी श्रीमती कमला नेहरु गंभीर रूप से बीमार पड़ गई। डॉक्टरों ने उन्हें क्षय रोग से पीडि़त घोषित कर दिया। जब भुवाली सेनिटोरियम में भर्ती करने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली, तो डॉक्टरों ने उन्हें इलाज के लिए स्विटज़रलैंड ले जाने की सलाह दी। पत्नी की बीमारी की खबर सुनकर जवाहरलाल नेहरु बहुत दुखी रहने लगे। वे जेल में थे। कुछ नहीं कर सकते थे। वे चाहते थे कि स्वयं उनकी देखरेख में पत्नी का इलाज करवाएँ। ऐसी परिस्थिति में उनके साथियों ने ब्रिटेश सरकार से अनुरोध किया कि वे जवाहरलाल को जेल से रिहा कर दे, ताकि वे अपनी पत्नी का इलाज करा सकें। ब्रिटिश सरकार ने उनके सामने यह शर्त रखी कि जवाहरलाल स्वयं पेरोल के लिए प्रार्थना पत्र लिखकर दे और इस दौरान राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने का वचन भी दें, तो वह उन्हें रिहा कर देगी। जवाहरलाल नेहरु उलझन में पड़ गए। एक तरफ पत्नी की बीमारी और एक तरफ देश के आत्म-सम्मान की बात। वे क्या करे? तब पत्नी कमला नेहरु ने उनका साथ दिया। किस तरह? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
प्रेरक प्रसंग
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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