शनिवार, 13 अगस्त 2016
बाल कहानी – सही फैसला – सत्यनारायण ‘सत्य’
कहानी का अंश…
चंदन वन में सभी जानवर हिलमिलकर रहा करते थे। यहाँ का सदर बाजार आसपास के सभी जंगलों में प्रसिद्ध था। जानवर दूर-दूर से यहाँ के बाजार में खरीदारी करने के लिए आते थे। इसी बाजार में करमू बकरा मिठाई की दुकान लगाता था। करमू इतनी अच्छी मिठाई बनाता था कि लोग ऊँगलियाँ चाटते रह जाए। ऊपर से खाद्य सामग्री में भी वही शुद्धता और ताजगी। बस यही कारण था कि जंगल के महाराजा शेरसिंह के घर में भी करमू बकरे के दुकान से ही मिठाइयाँ जाती थी। करमू की दुकान के सामने ही लोभी हिरण भी किराने की दुकान लगाता था। लोभू हिरण अपने नाम के अनुसार ही लोभी स्वभाव का था। दिनभर ग्राहकों से लड़ते-झगड़ते पाई-पाई जोड़ता रहता। आसपास के दुकानदार कहते थे कि जबसे उन्होंने दुकान लगाई है, लोभू हिरण को कभी भी किसी के साथ हँसी-खुशी से बोलते नहीं देखा है। बस हरदम पैसा और पैसा। पैसों के अलावा उसे दुनिया से कोई मतलब नहीं था। उसे कुछ और नजर भी नहीं आता था। लोभू के इसी लोभी स्वभाव के कारण ही उसकी दुकान पर बहुत कम ग्राहक आते थे। कोई भी जानवर उसकी दुकान से सामान लेना पसंद नहीं करता था। शहर भी पास में ही था इसलिए जानवर शहर में जाकर एक साथ ही सारा सामान लेकर आ जाते थे। हाँ, कभी कभार कुछ सामान खरीदना हो, तो भूले-भटके कोई अटका हुआ ग्राहक उसकी दुकान से सामान ले जाता था। आगे क्या हुआ? लालची हिरण का यह स्वभाव बदला या नहीं? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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