शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

जातक कथा - 2 - चक्री

उसका नाम चक्री था। वह एक वणिक था। धन का व्यापार करता था। सभी को ब्याज पर और वह भी चक्रवृध्घि ब्याज पर पैसे दिया करता था। उसका लालच बढ़ता जा रहा था। वह रात-दिन बस इसी काम में लगा रहता था। लोग जानते थे कि वह उन्हें लूटता है, फिर भी उसके पास आवश्यकता पड़ने पर जाना उनकी विवशता थी। चक्री का लोभ-लालच एकाएक एक छोटी-सी घटना के कारण दूर हो गया। उसमें त्याग, वैराग्य की भावना आ गई। वह पूरी तरह से बदल गया। ऐसा क्या हुआ, कौन आया उसके जीवन ने, किसने उसे इतना अधिक प्रभावित किया कि वह अपना स्वार्थ त्याग बैठा और एक भिक्षु बन बैठा। इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए सुनिए ये जातक कथा - चक्री...

1 टिप्पणी:

Post Labels