शनिवार, 2 जुलाई 2016
गीजूभाई की कहानियाँ - 8 - जो बोले वह खाये दो
जो बोले वह खाये दो...
कहानी का अंश…
दो पण्डे थे। एक था चाचा, दूसरा था भतीजा। एक बार दोनों अपने यजमानों के घर जाने को निकले। एक गाँव गये। वहाँ पहुँचकर यजमान के घर ठहरे। यजमान ने खूब स्वागत-सत्कार किया और दोनों पण्डों से कहा कि वे लड्डू बनाकर खाए। चाचा-भतीजे ने बाटियाँ सेंककर चूरमा तैयार किया। चूरमे के लड्डू बनाये। पाँच लड्डू बने। अब चाचा-भतीजा, दोनों सोचने लगे कि इन्हें बाँटा कैसे जाय? आखिर चाचा-भतीजे ने तय किया कि हम गूँगे बनकर बैठ जाएँ। जो पहले बोले, वह दो खाए, और न बोले, वह तीन खाए।
चाचा-भतीजे दोनों बिना बोले, लम्बे फैलकर सो गए। यजमान ने आकर देखा तो न कोई बोलता था, न हिलता-डुलता था। बुलवाने की बहुतेरी कोशिश की, पर कोई जवाब ही नहीं देता था। सब सोचने लगे, ‘कौन जाने, किसी जहरीले जानवर ने इन्हें काट न लिया हो।’
यजमान ने कहा, "आइए, हम सब मिलकर ब्राह्मण के इन बेटों को ठिकाने लगा दें! लोग आपस में बातें कर रहे थे। चाचा-भतीजे लेटे-लेटे सुन रहे थे। दोनों मन-ही-मन सोचने लगे, ‘यह तो गजब हो रहा है। लेकिन बोले कौन? जो बोलेगा, उसे दो ही लड्डू मिलेंगे?’
गाँव के लोग इकट्ठे हो गए, और अरथी तैयार करने लगे। चाचा-भतीजे दोनों को कसकर बाँध दिया गया, पर दोनों में से एक भी नहीं बोला। दोनों ऐसे दम साधे रहे, मानो सचमुच के मुरदे ही हों। लोग रोते-बिलखते उनको श्मशान में ले गये। श्मशान में चिता रची गई, और दोनों को चिता पर रखा गया। दूसरे सबलोग तो नदी पर नहाने चले गए। बस पाँच लोग वहाँ रह गये। बेचारे यजमान ने पूला सुलगाया और रोते-रोते चिता में आग लगाई।
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें