शनिवार, 30 जुलाई 2016
जो बीत गई सो बात गयी... - हरिवंशराय बच्चन
कविता का अंश... जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था,
माना वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया,
अम्बर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले,
पर बोलो टूटे तारों पर,
कब अम्बर शोक मनाता है,
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उसपर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया,
मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ,
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुवन शोर मचाता है,
जो बीत गई सो बात गई।
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें