बुधवार, 6 जुलाई 2016
पंचतंत्र की कहानियाँ - 29 - संगठन की शक्ति
संगठन की शक्ति... कहानी का अंश... एक वन में बहुत बडा अजगर रहता था। वह बहुत अभिमानी और अत्यंत क्रूर था। जब वह अपने बिल से निकलता तो सब जीव उससे डरकर भाग खडे होते। उसका मुँह इतना विकराल था कि खरगोश तक को निगल जाता था। एक बार अजगर शिकार की तलाश में घूम रहा था। सारे जीव तो उसे बिल से निकलते देखकर ही भाग चुके थे। उसे कुछ न मिला तो वह क्रोधित होकर फुफकारने लगा और इधर-उधर खाक छानने लगा। वहीं निकट में एक हिरणी अपने नवजात शिशु को पत्तियों के ढेर के नीचे छिपाकर स्वयं भोजन की तलाश में दूर निकल गई थी।
अजगर की फुफकार से सूखी पत्तियाँ उडने लगी और हिरणी का बच्चा नजर आने लगा। अजगर की नजर उस पर पडी हिरणी का बच्चा उस भयानक जीव को देखकर इतना डर गया कि उसके मुँह से चीख तक न निकल पाई। अजगर ने देखते-ही-देखते नवजात हिरण के बच्चे को निगल लिया। तब तक हिरणी भी लौट आई थी, पर वह क्या करती? आँखों में आँसू भर जड होकर दूर से अपने बच्चे को काल का ग्रास बनते देखती रही।
हिरणी के शोक का ठिकाना न रहा। उसने किसी-न किसी तरह अजगर से बदला लेने की ठान ली। हिरणी की एक नेवले से दोस्ती थी। शोक में डूबी हिरणी अपने मित्र नेवले के पास गई और रो-रोकर उसे अपनी दुखभरी कथा सुनाई। नेवले को भी बहुत दुख हुआ। वह दुख-भरे स्वर में बोला 'मित्र, मेरे बस में होता तो मैं उस नीच अजगर के सौ टुकडे कर डालता। पर क्या करें, वह छोटा-मोटा साँप नहीं है, जिसे मैं मार सकूँ वह तो एक अजगर है। अपनी पूँछ की फटकार से ही मुझे अधमरा कर देगा। लेकिन यहाँ पास में ही चीटिंयों की एक बाँबी हैं। वहाँ की रानी मेरी मित्र हैं। उससे सहायता माँगनी चाहिए।' क्या चींटी रानी ने उनकी सहायता की? हिरणी ने अपने नवजात शिशु का बदला किस प्रकार लिया? इन सवालों के जवाब जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
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कहानी,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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