शुक्रवार, 8 जुलाई 2016
बाल कहानी - दुर्वास की हँसी
कहानी का अंश... सीतापुर का निवासी दुर्वास उस गाँव का संपन्न सेठ था। उसके पुरखों ने उसके लिए काफी जायदाद छोड़ रखी थी। उसका अपना एक महल था। पच्चीस एकड़ का उपजाऊ खेत था और पचास एकड़ का खुश्क भूमि का वह मालिक था। एक बहुत बड़े आम के बगीचे का भी वह मालिक था। इस वजह से गाँव के लोग उसका आदर करते थे। उसका असली नाम तो रामचंद्र था, पर उसकी तुनकमिजाजी के कारण सभी लोग उसे दुर्वास कहकर बुलाते थे। वह भी उनकी बातों का बुरा इसलिए नहीं मानता था कि उसे दुर्वास एक खिताब की तरह लगता था। इसलिए उसने कभी भी इस नाम का विरोध नहीं किया। किसी पर नाराज हो जाए, तो जो मुँह में आए वही कह देता था। दुर्वास के तीन बच्चे थे। दो बेटियों की तो उसने शादी कर दी थी और एक बेटा था। बेटे किरीट को अपने पिता का यह स्वभाव बिलकुल पसंद नहीं था। इसी डर से वह शादी करने से भी हिचकता था। मन ही मन सोचता था कि उसके पिता के ऐसे स्वभाव के कारण उसकी पत्नी की उनसे कैसे निभेगी?पर पिता के कहने पर उसे शादी करनी ही पड़ी।
आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें