गुरुवार, 28 जुलाई 2016
पन्ना धाय तुम कैसी माँ थी ... - ज्योति चावला
कविता का अंश... पन्ना धाय तुम कैसी माँ थी
जो स्वामीभक्ति के क्षुद्र लोभ में
गँवा दिया तुमने अपना चन्दन-सा पुत्र
मैं जानती हूँ राजपूताना इतिहास के पन्नों पर
लिखा गया है तुम्हारा नाम स्वर्णाक्षरों में
मैं जानती हूँ कि जब-जब याद किया जाएगा
राजपूती परम्परा को, उसके गौरव को
याद आएगा तुम्हारा त्याग, तुम्हारी स्वामीभक्ति और
तुम्हारा अदम्य साहस भी, पर
उन्हीं इतिहास की मोटी क़िताबों मे
कहीं ज़िक्र नहीं है तुम्हारे आँसुओं का
चित्तौड़ के फ़ौलादी क़िलों की फ़ौलादी दीवारों के पार
नहीं आ पाती तुम्हारी सिसकी, तुम्हारी आहें
तुम्हारा रुदन, तुम्हारा क्रन्दन
मैं जानती हूँ पन्ना धाय
जब इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में
लिखा जा रहा था तुम्हारा नाम
ठीक उसी वक़्त तुम रो रही थी सिर पटक
चन्दन की रक्त से लथपथ देह पर
चन्दन की मौत के बाद तुम कहाँ गईं पन्ना धाय
इतिहास को उसकी कोई सुध नहीं
नहीं ढूँढ़ा गया पूरे इतिहास में फिर कभी तुम्हें
तुमसे लेकर तुम्हारे हिस्से का बलिदान
इतिहास मौन हो गया
पन्ना धाय सच बतलाना
कुँवर उदय सिंह की जगह चन्दन को कुर्बान
कर देने की कल्पना भर से क्या
तुम काँप-सी नहीं गई थीं
क्या याद नहीं आए थे वे नौ माह तुम्हें
जब तुम्हारे चाँद-से पुत्र ने आकार लिया था
ठीक तुम्हारी अपनी देह के भीतर
क्या नाभि से बँधा उसकी देह का तार
तुम्हारे दिल से कभी नहीं जुड़ पाया था पन्ना धाय...
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें