बुधवार, 7 सितंबर 2016
ग़ज़ल – तुझसे क्या कहूँ – 4 – विमल कुमार शर्मा
दिव्य दृष्टि के श्रव्य संसार में मुलाकात करते हैं विमल कुमार शर्मा की ग़ज़लों से। उनकी ग़ज़ल की किताब ‘तुझसे क्या कहूँ’ में इस शीर्षक से कुल आठ ग़ज़लें हैं। जिसे हम दो-दो ग़ज़लों के साथ चार भाग में प्रस्तुत कर रहे हैं। विमल कुमार शर्मा को शायरी का माहौल विरासत में मिला। पिताजी के दिलो-दिमाग में रची-बसी शायरी, गीत, ग़ज़ल उनकी रग-रग में बचपन से ही बस गई। भले ही नादान बचपन उनके अर्थ से अनजान था मगर शायरी सुनना और गुनगुनाना अच्छा लगता था। धीरे-धीरे समय के साथ समझ बढ़ी और खुद की शायरी बनने लगी। स्कूल से लेकर कॉलेज तक का सफर आगरा में ही हुआ। ऐतिहासिक शहर में रहने का फायदा यह हुआ कि मुशायरों का लुत्फ भी उठाया गया और बचपन की शायरी वर्तमान की दहलीज पर आकर उन्हें एक नई पहचान दे गई। गीत, ग़ज़ल, शायरी, व्यंग्य, कविता, कहानी, मुक्तक सारी विधाओं में हस्तक्षेप रखने वाले विमल कुमार शर्मा पेशे से फोरेन्सिक विशेषज्ञ हैं, इस बात पर यकीन करने को मन नहीं करता। किंतु समय का हर क्षण साक्षी है कि पर्याय इंसान को जितनी पहचान देते हैं, उससे कहीं अधिक पहचान उसे विलोम देते हैँ अत: इस बात पर भी यकीन करना ही है कि अपनी कर्मभूमि में कँटीली राह के राही श्री विमल जी रचनात्मक माटी में सृजन संसार के कई कोमल अंकुर बोने में पूर्णत: समर्थ हैं। उनकी इस विशेषता की पहचान करने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए। विश्वास है, उनकी ग़ज़ल ‘तुझसे क्या कहूँ’ की ये ग़ज़लें आपको अवश्य पसंद आएगी।
कुछ पंक्तियाँ….
साया भी तेरा ग़र मुझे छूकर निकल गया,
बिजली-सी दौड़ जाती है, मैं तुझसे क्या कहूँ।
आँखों में तेरे चेहरे की तस्वीर बन गई,
तुझको ही देखता हूँ, मैं तुझसे क्या कहूँ।
पूरी ग़ज़ल का लुत्फ लेने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
संपर्क - ई-मेल : vimalsharma31@gmail.com
लेबल:
ग़ज़ल,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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